Featured

पहाड़ के जीवन को बयान करती अमित साह की तस्वीरें

पिछले अठारह बरस में उत्तराखंड को जवान होना चाहिये था जबकि स्थिति हम सब जानते हैं. पहाड़ में पैदा होने के बाद से ही कठिन भौगोलिक चुनौतियां आपके जीवन का हिस्सा बन जाती हैं.

उत्तराखंड समेत हिमालय के लोगों की एक प्रमुख विशेषता यह रही है कि इन लोगों ने चुनौतियों से दोस्ती कर ली है. जो एक आम आदमी के लिये परेशानी हो सकती है वह उनकी जिन्दगी का एक हिस्सा है जिसकी जरा सी शिकायत उन्हें नहीं है.

अमित साह के कैमरे से नैनीताल

हमेशा खिले हुये उनके चेहरे हमेशा प्रेरणा के स्त्रोत होते हैं. देखिये पहाड़ के जीवन को बयान करती अमित साह की तस्वीरें : संपादक

वाण गाँव के बच्चे

बर्फ में सैर
लीती, बागेश्वर

पिंडारी ग्लेशियर की जाते हुए आखरी गाँव खाती से पहले आती महिलायें

आमा और नातिन
लीती, बागेश्वर

आमा की घर वापसी
मुनस्यारी

लीती, बागेश्वर

पिंडर नदी पार करते घोड़े वाले

जाटौली गांव की माँ बेटी

माँ औंर बेटी
घनसाली के पास

घास लाती महिला थोड़ा सुस्ताते हुए
रुद्रप्रयाग जिला

खेलते बच्चे
बेतालघाट के पास

लकड़ी लाती महिला
पंचाचूली ग्लेशियर के पास

आमा
लीती

भाई बहन
घनसाली के पास

इंतज़ार करती आमा
जागेश्वर के पास कहीं

 

फोटोग्राफर अमित साह ने बीते कुछ वर्षों में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. नैनीताल के ही सीआरएसटी इंटर कॉलेज और उसके बाद डीएसबी कैंपस से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अमित ने बी. कॉम. और एम.ए. की डिग्रियां हासिल कीं. फोटोग्राफी करते हुए उन्हें अभी कोई पांच साल ही बीते हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • माँ माटी मानुष सब मातृ शक्ति पर टिके हैं पहाड़ पर

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago