2/1 गोरखा राइफल्स के हवलदार दिलीप सिंह के घर 15 अगस्त 1914 को हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के मुख्यालय धर्मशाला में स्थित सल्ला धारी गांव, जिसे पेंशनर लाइन भी कहा जाता था, में उस सपूत ने जन्म लिया, जिसके संगीत की स्वर लहरी में भाग लगाते, सहस्त्रों द... Read more
बचपन में यदा-कदा बुड़-माकोट (पिताजी के ननिहाल) जाना होता था. वहां बगल के पाथरनुमा दोमंजिले घर की खिड़की पर रिश्ते के छोटे चाचा बांसुरी बजाते दिखाई देते. उन्हें सुनता तो मैं हैरत में पड़ जाता. पहाड़ी गानों की धुनें को बेहद मीठे स्वरों में हू-ब-हू निका... Read more
आज सुबह तीन पानी के पास उस फ़कीर की लाश मिली थी. कुछ दिन से शहर में एक फ़कीर को देखा जा रहा था. फ़कीर क्या, लोग तो उसे पागल समझ रहे थे. वो तो उसने जब, यूं ही बेवजह आँखें नहीं झपकाईं, किसी की बात का जवाब अजीब सी भाषा में नहीं दिया और […] Read more
किसी भी नगर की सबसे पहली पहचान उसकी नागरिक सुविधाओं से बनती है. लखनऊ अब एक बड़ा महानगर है. सन 1947 में यह छोटा-सा नगर था. इसका प्रबंध नगर पालिका करती थी जिसकी आर्थिक हालत बड़ी खस्ता थी. कुछ इस कारण से और कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही से भी य... Read more
1 सितम्बर, 1994 की सुबह खटीमा में हमेशा की तरह एक सामान्य सुबह की तरह शुरू हुई. लोगों ने अपनी दुकानें खोली थी. सुबह दस बजे तक बाजार पूरा खुल चुका था. तहसील के बाहर वकील अपने-अपने टेबल लगा कर बैठ चुके थे.(Khatima Goli Kand 1994) आज खटीमा में सरकार की... Read more
इस दुनिया को बेहतर और जीवंत बनाने की पहल करने वाला वाला निश्चित ही एक घुमक्कड़ रहा होगा. भारी भरकम बंद किताबों में ठूँसे गए गरिष्ठ ज्ञान-ध्यान से कहीं अधिक रोचकता और अपनेपन का अहसास घुमक्कड़ों के पद चाप से मिलता है. घुमक्कड़ तो जहां है, जैसा है, उसी... Read more
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में उत्तराखण्ड के काली कुमाऊं यानि वर्तमान चम्पावत जनपद का अप्रतिम योगदान रहा है. स्थानीय जन इतिहास के आधार पर माना जाता है कि लोहाघाट के निकटवर्ती सुई-बिसुंग इलाके के लोगों की स्वाधीनता संग्राम में बहुत ही सक्रिय भूमिका रही थ... Read more
उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की प्रारंभिक शुरुआत 1857 के दौर में एक तरह से काली कुमाऊं (वर्तमान चम्पावत जनपद ) से हो चुकी थी. वहां की जनता ने अपने वीर सेनानायक कालू महरा की अगुवाई में विद्रोह कर ब्रिटिश प्रशासन की जड़ें एक तरह से हिला ही... Read more
देवभूमि उत्तराखंड को देवों का घर माना जाता है. अलग-अलग समय पर यहां देवों के दर्शन देने की कथायें लोकप्रिय हैं. भगवान हनुमान से संबंधित ऐसे ही कुछ स्थान हैं जहां भगवान हनुमान रामायण और महाभारत काल में आये थे. इन स्थानों पर आज भगवान हनुमान को बड़ी श्रद... Read more
हाल ही के वर्षो में ’बाटुइ’ शीर्षक से प्रकाशित कविता संग्रह कुमाउनी साहित्य में रुचि रखने वालों लोगों के लिए एक नायाब कृति के रुप में उभर कर आई है. वरिष्ठ रचनाकार ज्ञान पंत द्वारा इस संग्रह में 258 लघु कविताएं तथा 35 बड़ी कविताएं शामिल की गई हैं. जाप... Read more