क़रीब साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित नामिक ग्लेशियर से निकलने वाली जलधारा अपने साथ कई और धाराओं को समेट जब नामिक-कीमू गांव के पाँव पखारते हुए आगे बढ़ती है तो जैसे पल-पल अपनी सामर्थ्य काअहसास कराती है. इठलाती ही यही नदी रामगंगा(पूर्वी) कहलाती ह... Read more
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से 38 किलोमीटर की दूरी पर कनक चौरी गाँव में स्थित है कार्तिक स्वामी मंदिर. भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को समर्पित इस मंदिर तक कनक चौरी गाँव से 3 किलोमीटर पैदल एक सुंदर कच्चे ट्रैक से होते हुए पहुँचा जा सकता है.... Read more
‘नंदादेवी का सफल आरोहण’ के लेखक पर्वतारोही टी. जी. लांगस्टाफ उत्तराखंड हिमालय से सम्मोहित अभिभूत व रोमांचित रहे. इस सुरम्य अल्पाइन भू भाग के भ्रमण व कई यात्राओं से मुग्ध हो उन्होंने लिखा कि, “एशिया के तमाम पहाड़ी प्रदेशों में गढ़वाल... Read more
यति या मिच कांगामी (भयंकर हिममानव) सदियों से मनुष्य के लिए एक कौतुहल का विषय रहा है. अनेक देशों में हिम मानव पर शोध कार्य चल रहा है, लेकिन बिना प्रमाणिक तथ्यों के अभाव में यह रहस्यमय प्राणी पकड़ में नहीं आया है. चीनी वैज्ञानिकों की धारणा है कि इस विच... Read more
ऊपर ज्योरागली में धूप निखर आई थी. कुछेक साथी वहां पहुंच भी गए थे तो ठंड में जमी रूपकुंड झील के किनारे से मैंने भी ज्योरागली में धूप सेंकने का मन बनाते हुए कदम बढ़ा लिए. बेहद तीखी हवा जैसे इम्तेहान लेना चाहती थी. ज्योरागली पहुंचकर सामने पहली बार नंदाघ... Read more
आज बगुवावासा में पड़ाव था. रूपकुंड की तलहटी पर ठंडा पड़ाव है बगुवावासा. अविनखरक से सात किलोमीटर पर है पाथर नचौनियां और वहां से साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर है बगुवावासा. रकसेक कंधों पर डाल और आली बुग्याल के किनारे से होते हुए वेदनी बुग्याल के शीर्ष... Read more
अल्मोड़ा में ग्रीष्म की पीली उदास धुधलाई सन्ध्या की इस वेला में, मैं एकाकी बैठा कसार देवी के शिखर पर और देख रहा हूं सुदुर हिमाच्छादित नन्दादेवी के शिखर को ! थके मादे सूरज को अस्तमुखी कि रणे कुहासे में डूबे धूमिल छ, सिये शिखरों को सहला सी रही हैं। अती... Read more
हिमालय केवल एक पहाड़ नहीं बल्कि संस्कृति और सभ्यता का उद्गम स्थल भी है. हिमालय केवल भारत, एशिया को ही नहीं बल्की पूरे विश्व की जलवायु को प्रभावित करता है. भारत के लिए हिमालय का महत्व और भी बढ़ जाता है. हिमालय न केवल भारत के उत्तर में एक सजग परहरी बनक... Read more
अपनी अत्युत्तम् प्राकृतिक सौन्दर्यता की अत्यधिक धनी, हर व्यक्ति के मन को बार-बार मोहित करने वाली इस नैनीताल नगरी की सबसे ऊँची चोटी “नैना पीक” है. जिस रमणीक चोटी में जाकर हर व्यक्ति भावविभोर होकर विहंगम पर्वत मालाओं को, हिमाच्छादित नगाधिरा... Read more
जब हम रालम और जोहार के लिए पिथौरागढ़ से निकले तो बरसात अपने चरम पर थी और रोड जगह जगह टूटी हुई थी. नाचनी से आगे हरडिया पर हमारी जीप कीचड़ में धंस गयी जिसे निकालने की कवायत में हमारे जूते बुरी तरह कीचड़ में डूब गए. (Munsiyari Travelogue by Vinod Upreti... Read more