माइकल ओडॉयर को गोली मारने के बाद उधम सिंह को ब्रिटिश जेल में जिस तरह की यातनाएँ दी गई उसके बारे में सोचकर भी किसी की रूह काँप जाए लेकिन उधम सिंह मानो मौत का कफन बाँधकर ही ओडॉयर को मारने ब्रिटेन गए थे. कुछ हमदर्द लोगों ने उधम सिंह से अपने इस कृत्य के... Read more
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर हनोल में स्थित है महासू देवता का मंदिर. हिमाचल बॉर्डर के पास स्थित इस मंदिर पर न सिर्फ उत्तराखंड के जौनपुर-बावर व रवांई घाटी के लोगों की असीम श्रद्धा है बल्कि हिमाचल के हजारों श्रद्धालु भी... Read more
गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर के ऐसे जनकवि रहे कि जिनके जनगीतों ने आंदोलन में जान फूंक दी थी. गिर्दा सिर्फ जनकवि नहीं थे बल्कि एक शानदार वक्ता भी थे. लयबद्ध तरीके से गाए गए उनके जनगीत बरबस ही सबको अपनी ओर खींच ले जाते थे. चिपको... Read more
देवभूमि उत्तराखंड को देवों का घर माना जाता है. अलग-अलग समय पर यहां देवों के दर्शन देने की कथायें लोकप्रिय हैं. भगवान हनुमान से संबंधित ऐसे ही कुछ स्थान हैं जहां भगवान हनुमान रामायण और महाभारत काल में आये थे. इन स्थानों पर आज भगवान हनुमान को बड़ी श्रद... Read more
सावन का मौसम, लगातार रिमझिम बरसती बारिश, पहाड़ी घाटियों में तैरते बादल और खुशनुमा मौसम के बीच एक परफ़ेक्ट कैमरा शॉट के लिए लालायित मैं, कुछ दोस्तों के साथ श्रीनगर से 4-5 किलोमीटर ऊपर बरियारगढ़ सड़क पर निकल पड़ा. अमूमन ग्रीष्म ऋतु का मौसम श्रीनगर गढ़व... Read more
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से 38 किलोमीटर की दूरी पर कनक चौरी गाँव में स्थित है कार्तिक स्वामी मंदिर. भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को समर्पित इस मंदिर तक कनक चौरी गाँव से 3 किलोमीटर पैदल एक सुंदर कच्चे ट्रैक से होते हुए पहुँचा जा सकता है.... Read more
उत्तराखंड में मानसून ने दो हफ़्ते पहले ही दस्तक दे दी है. मौसम का मिजाज ग्रीष्म ऋतु के इन पूरे महीनों में बदला रहा. जहाँ एक ओर पहाड़ के ऊपरी हिस्सों में बर्फबारी के साथ-साथ लगातार बारिश हो रही है वहीं दूसरी ओर श्रीनगर जैसे शहर में उस तरह की गर्मी महस... Read more
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को धूमधाम से मनाया जाता है और वह धूमधाम ऐसी है कि जो आजकल सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गई है. पर्यावरण के प्रति हमारी चिंताएँ कितनी गहरी हैं यदि यह जानना हो तो पूछिये खुद से कि अंतिम बार कब आपने पर्यावरण के किसी मुद्द... Read more
उन दिनों बच्चों के हाथों में रखे जाने के लिए रूपयों से ज़्यादा पैसे प्रचलन में थे. दस, बीस, पच्चीस व पचास पैसे अमूमन घर आए मेहमान वापसी के समय बच्चों के हाथों में टॉफी-बिस्कुट खाने के लिए रख जाते थे. बीस पैसे में तो बीस टॉफियाँ आ जाया करती थी उस जमान... Read more
‘नंदादेवी का सफल आरोहण’ के लेखक पर्वतारोही टी. जी. लांगस्टाफ उत्तराखंड हिमालय से सम्मोहित अभिभूत व रोमांचित रहे. इस सुरम्य अल्पाइन भू भाग के भ्रमण व कई यात्राओं से मुग्ध हो उन्होंने लिखा कि, “एशिया के तमाम पहाड़ी प्रदेशों में गढ़वाल... Read more