मेरा बचपन-1 (डीडी पन्त की अप्रकाशित जीवनी के अंश) -देवी दत्त पंत सुबह उठते ही कोलाहल, चिन्ता, अव्यवस्था, 70 वर्श के जीवन का यह आखिरी पड़ाव कैसा बीभत्स है! विज्ञान, तकनीक, समाजशास्त्र, नीतिशास्त्र सब धरे रह गये हैं. धर्म, मानवता, करूणा, प्रगति, शांतिव्... Read more