सूरज धीरे-धीरे पहाड़ी के सिर पर से अपना आँचल समेट कर पल भर को ठिठका. गहरे नीले और काले आँचल में शाम को लहरा कर आता देख मुस्कुराया और उसके लिए रास्ता बनाता धीरे से दूसरी ओर सरक गया. (Yaad story by Smita Karnatak) मैं खिड़की पर अपनी लेमन टी का कप पकड़े... Read more