अंग्रेज़ी की कक्षाएं बन्द हो गई थीं और उस पीरियड में सीनियर बच्चों को पढ़ाने वाले एक बहुत बूढ़े मास्साब अरेन्जमेन्ट के बतौर तशरीफ़ लाया करने लगे. वे बहु्त शरीफ़ और मीठे थे. वे एक प्रागैतिहासिक चश्मा पहनते जिसकी एक डण्डी थी ही नहीं. डण्डी के बदले वे एक सुत... Read more
आज सुबह तीन पानी के पास उस फ़कीर की लाश मिली थी. कुछ दिन से शहर में एक फ़कीर को देखा जा रहा था. फ़कीर क्या, लोग तो उसे पागल समझ रहे थे. वो तो उसने जब, यूं ही बेवजह आँखें नहीं झपकाईं, किसी की बात का जवाब अजीब सी भाषा में नहीं दिया और […] Read more