काव्य कला का सौष्ठव उसके सब कुछ कह देने में नहीं, बल्कि, अनकहे अंश में है. जैसे अपने पति का नाम न लेने वाली कोई ग्रामीण-नायिका, पति के बारे में पूछे जाने पर हल्के-से मुस्कुरा दे, और नैनो के इशारे से अपने पीछे खड़े पति की हल्की सी भनक-भर कर दे. उन अनक... Read more