पहाड़ों में 80 के दशक में पले बढ़े युवाओं के लिए भोजन के नाम पर अधिक व्यंजनों की गुंजाइश नहीं थी. घर में तो दाल ,रोटी, सब्जी, झूंअरे का चावल, जो दूध के साथ चीनी मिलाकर स्वीट डिश का काम भी करता था. इसके अलावा भट के डूबके, ठटवानी, चैंसा झोली आदि-आदि ही... Read more