कहो देबी, कथा कहो – 22 (पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 21 वे दिन, वे लोग और उन दिनों का वह पंतनगर!) वहां सब कुछ ठीक था लेकिन इतने लोगों के होने के बावज़ूद हवा में कभी गीतों के बोल नहीं गूंजते थे. विश्वविद्यालय के सिनेमा हाल जैसे गांधी भवन के मंच पर [... Read more