पिछली कड़ी पहली जून 1994 को जब अस्कोट-आराकोट अभियान दल मुनस्यारी पहुंचा, दल के अधिकांश सदस्य मेरे पूर्व परिचित मित्र थे. उनके आवास तथा भोजन की उचित व्यवस्था की गई. मैंने लेह-लद्दाख भ्रमण का कार्यक्रम बना लिया था. अन्यथा मैं भी इस अभियान में सम्मिलित ह... Read more