विपक्ष ने षड्यंत्र के तहत डेंगू मच्छर शहर में छोड़ दिए हैं

1997 में आई नाना पाटेकर की प्रसिद्ध फिल्म यशवंत का डायलॉग ‘एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है’ सुनने के बाद मच्छरों के वजीर-ए-आजम ने एक आपात बैठक बुलाई. बैठक में गहन चर्चा के बाद निष्कर्ष यह निकला कि यह मच्छरों के स्वाभिमान पर ठेस पहुँचाने वाला डायलॉग है. इस डायलॉग को फिल्म से हटाने की मॉंग को लेकर मच्छरों के सरताज के साथ नाली, गटर व डेंगू मंत्री तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा से मिले. प्रधानमंत्री को मच्छरों का हारमोनियम स्वर में दर्ज कराया गया बयान समझ नहीं आया तो मच्छर भाषा के एक्सपर्ट को ट्रांसलेटर के तौर पर बुलाया गया तब जाकर देवेगौड़ा साहब को बात समझ में आई. मच्छरों को आश्वासन मिला की बात सेंसर बोर्ड तक पहुँचा दी जाएगी. आश्वासन के भरोसे बैठे मच्छर समुदाय में उत्सुकता थी कि जल्द ही डायलॉग फिल्म से हटा दिया जाएगा और मच्छरों का खोया हुआ सम्मान वापस लौट आएगा.

मच्छर धैर्यता का परिचय देते हुए कई महीनों से इंतजार कर ही रहे थे कि एक पिक्चर प्रेमी मच्छर ने आकर सभागार में खुलासा किया कि वह अभी-अभी फिल्म यशवंत देखकर आ रहा है और उसमें से डायलॉग को अभी भी नहीं हटाया गया है. मच्छर-ए-आजम के साथ-साथ सेनापति मच्छरबली बुरी तरह भड़क गए. उन्होंने तय किया कि इस डायलॉग के खिलाफ वो देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे और डेंगू व चिकनगुनिया के प्रकोप से देश के हर कोने को दहला देंगे. तभी बीरबल जैसे समझदार, मच्छरों के शिक्षामंत्री ने महाराज व सेनापति से शांत हो जाने का आग्रह किया.

अब तक केंद्र में प्रधानमंत्री के तौर पर इंद्र कुमार गुजराल जी कार्यकाल संभाल चुके थे. मच्छर शिक्षा मंत्री ने महाराज को बताया कि गुजराल जी बहुत ही सुलझे हुए और समस्याओं को समझने वाले व्यक्ति हैं अत: आप से आग्रह है कि प्रधानमंत्री इंद्र कुमार जी से मिलकर शांतिपूर्ण ढंग से मसले को सुलझा लें. मच्छर-ए-आज़म सेनापति मच्छरबली के साथ गुजराल जी के पास पहुँचे. ट्रांसलेटर आया और गुजराल जी को बात समझाई. गुजराल जी ने भी मुद्दे को हल्के में लेकर आश्वासन देकर दोनों महानुभावों को विदा किया.

मच्छर समुदाय को लगा कि इस बार बात बन जाएगी लेकिन एक रात अचानक मच्छरों की रानी रात को जोर-जोर से चीखने लगी. महाराज ने उठकर देखा तो रानी आग बबूला हुए गटर महल के एक कोने से दूसरे कोने तक उड़ती हुई कुछ बड़बड़ा रही थी. महाराज को लगा शायद आज उनसे कोई गलती हो गई है जिस वजह से रानी इतना क्रोधित हैं. कारण जानने पर पता चला कि महारानी ने उस रात फिल्म यशवंत देखी और जाना कि डायलॉग उसमें अब भी जस का तस बना हुआ है. महाराज भी आग बबूला होकर यलगार हो-यलगार हो चिल्लाने लगे. इतनी देर में मच्छरों की पूरी सेना गटर महल में इकट्ठा हो गई. सेनापति मच्छरबली सेना को लीड कर रहे थे.

महाराज क्रुद्ध स्वर में बोले अब भारत सरकार से बात करने का कोई फायदा नहीं है. मच्छर शिक्षा मंत्री ने एक बार फिर शांति का कबूतर बीच में लाने की कोशिश की और नए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से बात करने की सलाह दी. महाराज का माथा गरम हो चुका था और उन्होंने शिक्षा मंत्री को अपनी सलाह अपने पास रखने का हुक्म दिया. अब तय हो चुका था कि डायलॉग तो फिल्म से नहीं हटने वाला इसलिए देशव्यापी मच्छर आतंक फैलाया जाएगा. मच्छरों ने अब इस डायलॉग को अपनी प्रतीष्ठा का विषय बना लिया था.

मच्छरों के मच्छर सुरक्षा सलाहकार ने आपात बैठक बुलाई और तय किया कि आतंक उस राज्य से आरंभ किया जाएगा जहॉं लोग साफ-सफाई कम रखते हैं और जहॉं कूड़े-कचरे का ढेर ज्यादा है. अंत में तय हुआ कि आतंक दिल्ली से आरंभ होगा. मच्छरों की हजारों टोलियॉं दिल्ली की ओर उड़ चली और दिल्ली में डेंगू, चिकनगुनिया व रात को खून चूसो आतंक के साथ हाहाकार मचाने लगी.

हर साल दिल्ली में हजारों लोग डेंगू के कारण मरने लगे. धीरे-धीरे मच्छरों का यह आतंक अन्य राज्यों में भी फैलने लगा. राज्य सरकारें डेंगू से निपटने में नाकाम होने लगी जिससे मच्छरों को और ज्यादा प्रोत्साहन मिलने लगा. सरकारें अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए डेंगू, चिकनगुनिया का दोष आम नागरिकों पर ही मढ़ने लगी. मच्छरों का आतंक देश में अब फलने-फूलने लगा था.

करीब दो दशक तक बड़े शहरों में आतंक फैलाने के बाद अब मच्छर देहरादून जैसे छोटे शहर को टारगेट करने लगे. उत्तराखंडवासियों व सरकार को अमूमन यह नाज रहता ही है कि उनके यहॉं अन्य राज्यों की तुलना में मच्छर-मक्खियों का प्रकोप कम है. इसी घमंड को चूर करने के लिए मच्छरों ने देहरादून में डेरा जमा लिया. सरकार को मच्छरों के देहरादून प्रवास की खबर तक नहीं लगी. शहर की गंदगी, कचरा व उफनती नालियॉं मच्छरों के आलिशान बंगले हो गए जिनका किराया भी माफ था. धीरे-धीरे मच्छरों ने अपने मिशन डेंगू पर काम करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरा देहरादून शहर डेंगू की चपेट में आ गया.

लोग सूबे के मुख्यमंत्री से इस बावत सवाल पूछने लगे कि आखिर शहर में अचानक डेंगू का प्रकोप कैसे बढ़ गया. रावत जी ऐसी छोटी-मोटी घटनाओं को तो ऐसे ही सुलटा देने वाले ठेरे. उन्होंने भी आव देखा न ताव और बता दिया कि इसके पीछे विपक्ष का हाथ है. विपक्ष ने ही शहर में मच्छर छोड़े हैं.

विपक्ष का तो पता नहीं लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान ने मच्छर-ए-आजम को एक आइडिया दे दिया कि क्यों न मच्छरों की एक पार्टी बनाए जाए. उन्होंने शाम को एक मच्छर सभा बुलाई और कहा कि देखो जब ये नेता लोग अपनी जनता का खून चूसकर भी सत्ता में आ सकते हैं तो हम अपनी पॉलिटिकल पार्टी क्यों नहीं बना सकते. वैसे भी रावत जी के बयान के बाद हम पॉलिटिकल हो ही गए हैं.

मच्छर-ए-आजम की इस बात का सबने ध्वनिमत से समर्थन किया और डेंगू फैलाने वाले मच्छरों ने ‘डेंगूमुक्त जनता पार्टी’ (डी.जे.पी) के नाम से अपनी एक पार्टी लाँच कर दी. अब वो डेंगू भी फैला सकते थे और कोई उन पर तोहमत भी नहीं लगा सकता था क्योंकि वो चुनकर आए थे.

नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

3 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

7 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

7 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

7 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

7 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

7 days ago