देहरादून से विकासनगर होते हुए एक रास्ता जौनसार बावर के लिए चल पड़ता है. इस रास्ते में उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक पड़ता है चकराता. देवदार के घने जंगलों के बीच मनमोहक चकराता तहसील मुख्यालय भी है. चकराता से एक सड़क देववन, कोटी-कनासर मुंडाली होते हुए त्यूनी के लिए जाती है. इस रास्ते पर बढ़कर आप टौंस नदी के साथ चलने लगते हैं. यही सड़क हनोल, बड़कोट, उत्तरकाशी तक लिए जाती है.
चकराता से 18 किमी आगे चलने पर एक छोटा सा गाँव मिलता है लोखण्डी. यहाँ पहुँचने पर एक कच्चा ऊबड़-खाबड़ रास्ता बुधेर के लिए जाता है. वन विभाग द्वारा बनाया गया 3 किमी का यह रास्ता ठीक-ठीक चौड़ा है और घने जंगल के बीच से गुजरता है. इस रास्ते की मंजिल है बुधेर में वन विभाग का आलीशान रेस्ट हाउस. हालांकि यह रास्ता बुधेर से आगे के कुछ दुर्गम गाँव और जंगल में अस्थायी रूप से रह रहे पशुपालकों के काम भी आता है, लेकिन इसे एक जमाने के वन विश्राम गृह तक पहुँचने के लिए ही बनाया गया है.
बुधेर वन विश्राम भवन देवदार के घने जंगल के बीच है, जहाँ पर जंगली जानवरों, परिंदों और वनस्पतियों की कई किस्में पायी जाती हैं. बुधेर वन विश्राम गृह 1868 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया है. यह उत्तराखंड के ब्रिटिशकालीन विश्राम गृहों में से एक है. अंग्रेजों द्वारा स्थापित विभिन्न विश्राम गृहों को देखकर आप प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए उनकी पारखी नजर के कायल हुए बिना नहीं रह पाते. मामूली रखरखाव के बावजूद बुधेर वन विश्राम गृह ठीक-ठाक स्थिति में है. लेकिन इस जगह पर पानी न के बराबर ही है. विश्राम गृह से 100 मीटर की दूरी पर मौजूद पानी का स्रोत बूंद-बूंद टपकता है. पशुपालकों ने इस दम तोड़ते स्रोत के नीचे एक गड्ढा बना दिया है जिसमें हरेक घंटे एकाध लीटर गंदला पानी इकठ्ठा हो जाता है. ऐसे में वन विभाग के कर्मचारियों के पास बिक्री के लिए मौजूद मिनरल वाटर की बोतलों से किफ़ायत के साथ काम चलाना पड़ता है. लोखण्डी से पानी भरकर ले चलना ज्यादा बेहतर उपाय है.
बुधेर से कई छोटे-बड़े रास्ते चारों तरफ जाते हैं जिनमें चलकर आप जंगल में सैर करने का मजा ले सकते हैं. इन्हीं में एक पगडण्डी जाती है मोइला टॉप. बुधेर से 3.50 किमी का पहाड़ी रास्ता मोइला टॉप के लिए जाता है. एकाध जगह खड़ी चढ़ाई के बावजूद रास्ता ज्यादा थकने वाला नहीं है. ट्री लाइन के ख़त्म होते ही अचानक घास के मैदान की कई परतें अब तक की थकान को भी बिसरा देती हैं. मोइला टॉप एक छोटा सा बुग्याल है, हरी, मखमली घास का मैदान. यह उत्तराखंड के सुरम्य पर्यटन स्थलों में कम पहचानी जाने वाली जगह है. चकराता आने वाले सैलानियों में से कुछ जरूर यहाँ आते हैं.
मोइला टॉप में एक छोटी सी प्राकृतिक झील भी है जो गर्मियों में पूरी तरह से सूख जाती है. बरसात के बाद के कुछ महीने यह छोटी सी झील बुग्याल के सौन्दर्य को और ज्यादा बढ़ा देती है.
मोइला टॉप के कोने में एक गुफा भी है. इस गुफा की चौड़ाई इतनी है कि थोड़ा-बहुत कठिनाई के साथ इसके भीतर जाया जा सकता है. कुछ दूरी पर जाने के बाद एक रास्ता सामने और एक गहरे जाता दीखता है. इस बिंदु से सभी साहसी सैलानी वापस बाहर लौट आते हैं. इस गुफा के बारे में कोई मिथक प्रचलित नहीं है.
बुग्याल की सबसे ऊंची तह में एक पौराणिक मंदिर है, इसे परी मंदिर कहा जाता है. मंदिर की पहाड़ी शैली की बनावट बहुत ही आकर्षक है.
जाड़ों में मोइला टॉप बर्फ से ढंक जाता है. बर्फ़बारी के मौसम में यहाँ घूमने का अलग ही आनंद है.
-सुधीर कुमार
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चकराता के नज़दीक मोइला टॉप पर स्थित पर्यटन स्थल की रोचक व उपयोगी जानकारी। काफल ट्री ऐसी जानकारियों का अनमोल, दुर्लभ और असीमित खज़ाना है।