कोविड का शिकार होने वाले ज्यादातर लोग ठीक होने के बाद भी कई तरह की तकलीफों की बात कर रहे हैं. उन्हें कमजोरी बहुत ज्यादा हो रही है. कोविड में लंग्स प्रभावित होते हैं. सांस के जरिए आने वाली ऑक्सिजन को खून में मिलाकर खून के जरिए उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है. कोरोना वायरस के प्रभाव में चूंकि लंग्स अपनी पूरी क्षमता से काम करना बंद कर देते हैं, इसलिए न हम लंबी और गहरी सांस ले पाते हैं और न लंग्स हमारे शरीर को ठीक से ऑक्सिजन मिला खून ही दे पाते हैं. इसी के चलते हमें कमजोरी महसूस होती है और जल्दी थकान लगती है. कोरोना नेगेटिव आने के बाद पहले वाली शारीरिक अवस्था पाने में दो-तीन महीने भी लग रहे हैं. इन हालात में कुछ उपाय हैं, जिनसे शरीर को फायदा हो सकता है:
(Mind Fit 40 Column)
मैं कोरोना नेगेटिव होने के बाद अगले चार-पांच दिनों तक कमजोरी से जूझ रहा था. मैंने दो दिन बाद ही पार्क में जाकर वॉकिंग शुरू कर दी. मैं कई तरह के प्राणायाम भी कर रहा था. हालांकि शुरू में कमजोरी इतनी ज्यादा हो सकती है कि कई लोग चाहकर भी प्राणायाम करने की ताकत नहीं जुटा सकते हैं. उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. लंग्स की रिकवरी की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होगी. एक बार जब प्राणायाम और सांस के दूसरे व्यायाम करने की शक्ति आ जाए, तो जितना संभव हो उन्हें करने का प्रयास करें.
लंग्स की ताकत बढ़ाने के लिए लंबी, धीमी गहरी सांस भरें
उसे मुंह से इस तरह छोड़ें जैसे आप गुब्बारा फुला रहे हों
स्पाइरोमीटर से भी लंग्स की ताकत बढ़ाई जा सकती है
शुरू में स्पाइरोमीटर में ब्रीदिंग एक्सरसाइज करते हुए बहुत जोर लगाने से बचें
बहुत धीरे-धीरे ही लंग्स पर जोर बढ़ाएं
प्राणायाम शुरू करने से पहले कपालभाती क्रिया करें
यह आपके फेफड़ों की बासी हवा को बाहर निकालने का काम करेगी
प्राणायाम में अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका बहुत लाभदायक है
भस्त्रिका में जोर ज्यादा पड़ता है, इसलिए इसे लंग्स में थोड़ी ताकत लौट आने के बाद ही करना शुरू करें
प्राकृतिक तरीकों से भी आप अपने खून को पतला कर सकते हैं और इलाज के दौरान ली दवाओं के हैवी डोज के असर को कम कर सकते हैं. इसके लिए सबसे कारगर तरीका सुबह उठने के बाद खाली पेट कच्चे लहसुन की कली चबाकर खाना है. एक कली को पहले किसी भारी चीज से क्रश कर लें और उसे मुंह में रखकर दांतों से भी अच्छी तरह चबाकर पानी के साथ निगल लें. लहसुन के अलावा हल्दी, दालचीनी और अदरक भी खून पतला करते हैं. इन्हें आप अपने-अपने ढंग से ले सकते हैं. हल्दी को दूध के साथ भी लिया जा सकता है. अदरक का पानी बनाकर सुबह खाली पेट ही दो-तीन गिलास पी लें. यह पानी घूंट-घूंट से 10-15 मिनट में खत्म करें.
(Mind Fit 40 Column)
कोविड के इलाज के दौरान ली गई दवाएं शरीर की पाचनक्रिया को ध्वस्त कर देती हैं. रिकवरी के लिए जरूरी है कि हम ऐसा भोजन करें, जो पचने में आसान हो. फल और सब्जियां ज्यादा लें. गेहूं की बजाय ज्वार, बाजरा या मक्के के आटे की रोटी लें. पानी ज्यादा पिएं. पूरे ध्यान से भोजन करें. हर कौर को मुंह में कम से कम चौबीस बार चबाएं. बहुत ज्यादा भोजन न करें,यह आपको अपच का शिकार बना सकता है.
ज्यादातर लोग कोविड से रिकवर होने के बाद तुरंत फोन और सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होने की गलती कर रहे हैं. लगातार मोबाइल के इस्तेमाल, फोन पर बात करने, सोशल मीडिया में विडियो, तस्वीरों को देखने और टेक्स्ट पढ़ने से भी शरीर की बहुत-सी ऊर्जा चली जाती है. इससे कमजोरी बढ़ती है. शरीर को सबसे ज्यादा फायदा गहरी नींद से मिलता है. कोशिश करें कि आप 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें. रात को सोने से एक घंटा पहले ही फोन को बिस्तर से दूर रख दें. सुबह भी उठने के बाद दो घंटे तक फोन से दूरी बनाकर रखें. फोन से दूरी आपको एंग्जायटी से भी दूर रखती है. आपका दिमाग जितना शांत रहेगा, शरीर की भीतरी क्रियाएं उतना ही दुरुस्त होकर काम करेंगी.
(Mind Fit 40 Column)
-सुंदर चंद ठाकुर
इसे भी पढ़ें: कोविड ने दिया मुझे जिंदगी का एक नया नजरिया
लेखक के प्रेरक यूट्यूब विडियो देखने के लिए कृपया उनका चैनल MindFit सब्सक्राइब करें
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…