हमारे शरीर में प्राणतत्व के होने की बुनियादी वजह हमारा सांस लेना है. जब तक हम सांस ले रहे हैं तब तक शरीर में प्राणतत्व बना रहता है. सांस लेना बंद करते ही प्राण तत्व भी शरीर से निकल जाता है. मनुष्य का स्वभाव है कि वह जो उसके पास है उसकी ओर ध्यान न देकर अभाव की ओर ध्यान देता है. सांस तो हर क्षण हमारे साथ है. इसलिए सांस की ओर सबसे कम ध्यान दिया जाता है. यही वजह है कि हम बहुत ही उथली सांस लेते हैं. पर एक बार जब आप जाने लोगे कि गहरी सांस लेने के कितने फायदे हैं, संभवत: तब आप सांस की ओर सबसे ज्यादा ध्यान दोगे. लीजिए जानिए गहरी सांस लेने के दस अद्भुत फायदे-
(Mind Fit 30 Column)
जब आप गहरी सांस लेते हैं, तो शरीर एंडोर्फिन होर्मोन रिलीज करता है. यह होर्मोन न सिर्फ खुशी की अनुभूति देता है बल्कि शरीर के लिए दर्द निवारक का काम भी करता है. दिन में चार-पांच बार गहरी सांस लेने का मतलब है कि आपने चार-पांच बार खुद को खुश होने की वजह दी है. एंडोर्फिर्न दर्द को जो कम करेगा सो अलग.
गहरी सांस लेने से शरीर के टॉक्सिन दूर होते हैं. शरीर जितना इन टॉक्सिन्स से मुक्त होता है उतना ही उसमें रक्त-संचरण यानी ब्लड-फ्लो बेहतर होता है. जितना ब्लड-फ्लो ठीक होता है उतना शरीर के हर हिस्से तक खून पहुंचता है और वह स्वस्थ बना रहता है. ब्लड-फ्लो अच्छा होने से हमारे चेहरे की चमक भी बढ़ती है.
गहरी सांस लेने से शरीर के टॉक्सिन्स और कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर जाते हैं और ऑक्सीजन भीतर आती है. जब खूब में अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिली होती है, तो वह आपके जरूरी अंगों की फंक्शनिंग और इम्यून सिस्टम को अच्छा बनाता है. इसीलिए कोरोना से लड़ने के लिए कई लोगों ने प्राणायाम की मदद ली. साफ-सुथर, बिना टॉक्सिन का हेल्दी खून सभी प्रकार के इंफेक्शंस को दूर रखता है और इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है. यह शरीर में विटामिन और न्यूट्रिएंट्स के घुलने में भी मदद करता है और सुनिश्चित करता है कि आप किसी भी संक्रमण से जल्दी रिकवर हो जाएं.
मनोवैज्ञानिक एनजाइटी का शिकार हुए अपने पेशंट्स को इसके अचूक इलाज के रूप में गहरी सांस लेने को बोलते हैं. वह उनके लिए इस बीमारी का रामबाण इलाज है. डीप ब्रीदिंग यानी गहरी सांस लेने से हार्ट रेट कम होता है, इससे शरीर में ज्यादा ऑक्सीजन जाती है और इसका सीधा प्रभाव दिमाग पर पड़ता है. इससे होर्मोन्स का संतुलन भी ठीक होता है- एनजाइटी बढ़ाने वाला कोर्टिसोल कम होता है, खुशी की अनुभूति पैदा करने वाला एंडोर्फिन बढ़ता है.
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जिन लोगों को नींद न आने का रोग है, जो Insomnia का शिकार हैं उन्हें डॉक्टर प्राणायाम यानी सांसों की एक्सरसाइज करने को कहते हैं क्योंकि गहरी सांस शरीर के टॉक्सिन्स साफ करती है और हमें अच्छी, गहरी नींद देती है. गहरी सांस के जरिए जितनी ऑक्सीजन दिमाग तक पहुंचेगी दिमाग उतना शांत रहेगा और जितना हमारा दिमाग शांत रहता है हम उतना ही बेहतर नींद ले पाते हैं.
ब्लड-फ्लो बढ़ने हमें खून में ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और ज्यादा ऑक्सीजन मिलने से हमें ज्यादा एनर्जी प्राप्त होती है. इसलिए जो लोग डीप-ब्रीदिंग की आदत डाल लेते हैं, वे जीवन की समस्याओं का हंसते हुए सामना करते हैं और बड़ी से बड़ी समस्या को भी सहज ही सुलझा लेते हैं. ज्यादा एनर्जी के कारण हम मुश्किल स्थितियों से घबराते नहीं. उनसे दूर जाने की बजाय हम उनका मुकाबला करते हैं.
गहरी सांस लेने की क्रिया ऐसी है कि आपका शरीर खुद ही सीधा हो जाता है क्योंकि सीधे शरीर से ही लंबी और गहरी सांस लेना मुमकिन है. झुके हुए शरीर से आप गहरी लंबी सांस नहीं ले सकते. इसलिए जो लोग गहरी सांस लेते हैं, रेगुलर प्राणायाम करते हैं, उनकी रीढ़ सीधी रहती है, कंधे भी झुकते नहीं. फेफड़ों में जब हवा भरती है, तो इससे रीढ़ भी पने आप सीधी होने लगती है.
विशेषज्ञों ने अपने-अपने ढंग से इस तथ्य को उजागर किया है कि शरीर जितना अम्लीय यानी एसिडिक रहेगा उतना कैंसर जैसे रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके उलट शरीर अगर क्षारीय यानी अल्कलाइन रहता है, तो कैंसर कभी पास नहीं फटकता. गहरी सांस लेने से शरीर की अम्लीयता कम होती है यानी वह ज्यादा अल्कलाइन बनता है. तनाव से भी शरीर की एसिडिटी बढ़ती है. Deep breathing तनाव कम करता है जिसकी वजह से शरीर की एसिडिटी भी कम हो जाती है.
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कार्बन डाई ऑक्साइड एक ऐसा टॉक्सिक पदार्थ है जो सिर्फ सांस के जरिए ही शरीर से बाहर निकलता है. जब हम उथली सांस लेते हैं, तो शरीर खुद को टॉक्सिक पदोर्थों से मुक्त करने वाले दूसरे सिस्टम का इस्तेमाल करता है जिसके कारण शरीर जल्दी थकने लगता है. Deep breathing करने से कार्बन डाई ऑक्साइड सांस के जरिए ही बाहर निकल जाता है.
हमारे शरीर में लसीका द्रव यानी Lymph fluid को Lymphatic system में ठीक से मूव करने के लिए सांस की अहम भूमिका होती है. उथली सांस से Lymph fluid सिस्टम में बहुत धीमी गति से प्रवाहित होता है. गहरी सांस से उसका प्रवाह सुधरता है और शरीर वायरस आदि के बाहरी हमलों से ज्यादा बेहतर ढंग से लड़ पाता है.
गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की ज्यादा सप्लाई होती है. यह अतिरिक्त ऑक्सीजन हमारे पाचन तंत्र में भी जाती है और पाचन क्रिया को इंप्रूव करती है. गहरी सांस लेने से ब्लड-फ्लो बढ़ता है जो आंतों यानी Intestine का काम भी सुधारता है. इससे पाचन और अच्छा होता है. गहरी सांस लेने के कारण तंत्रिका तंत्र यानी Nervous System भी ज्यादा कुशलता से काम करता है, जिससे पाचन क्रिया और अच्छी हो जाती है.
जब हम गुस्से, तनाव या घबराहट में होते हैं तो हमारी मसल्स टाइट हो जाती हैं और सांसें बहुत उथली हो जाती हैं. आपने देखा होगा गुस्से में आदमी छोटी-छोटी सांसें लेने लगता है. गुस्से के वक्त दिमाग भी अशांत हो जाता है. सांसें छोटी होने से मसल्स टाइट होती हैं, तो सांस गहरी होने से मसल्स पर उलटा असर पड़ता है. वे रीलेक्स होती हैं. दिमाग भी शांत होता है. शरीर और दिमाग दोनों रीलेक्स रहते हैं, तो आप अपने सभी कार्य ज्यादा एकाग्रता से कर पाते हैं और जीवन में सफलता के नए-नए मुकाम हासिल करते हैं.
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-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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