Featured

मकर संक्रान्ति पर कमल जोशी के भकार से काले कौव्वा

उत्तरायणी, उत्तरैण, पुसुणिया आदि नामों से मकर सक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार उत्तराखंड में मनाया जाता है. उत्तराखंड के सभी त्यौहारों में मकर संक्रांति का अपना अलग महत्व है. इस दिन घरों में घुघुतों के साथ अन्य पकवान बनाये जाते हैं. पूस माह की आखिरी तारीख को बनाये गये यह पकवान माघ माह के पहले दिन कव्वों को खिलाये जाते हैं. उत्तराखंड में रहने वाला कोई भी व्यक्ति कव्वों को बुलाने के लिए गाया जाने वाला गीत ‘काले कौव्वा’ गुनगुना सकता है. हम सबने अपने-अपने बचपन में अपने आंगनों से, अपनी छतों से ‘काले कौव्वा‘ गीत गाया है.

हमारे सुर-बेसुर में गाये इस बचपन के गीत को पहली बार सुरों में पिरोने की कोशिश की भकार प्रोडक्शन द्वारा. इस गीत को पिथौरागढ़ के कमल जोशी ने गाया है. भकार प्रोडक्शन पिथौरागढ़ के दो युवा, रूचि जंगपांगी और कमल जोशी का एक यूट्यूब चैनल है. पिछले एक साल में भकार प्रोडक्शन के बहुत से तबला कवर लोगों के बीच यूट्यूब में लोकप्रिय रहे हैं.

भकार प्रोडक्शन, नाम के बारे में कमल जोशी बताते हैं कि “भकार हमारे गाँव-घरों में लकड़ी के एक बॉक्स को कहा जाता है. आकार में काफी बड़े इसे बॉक्स का प्रयोग गाँव घरों में अपना सामान रखने के लिए किया जाता है. इसमें आपको आमा-बूबू की बरसों पुरानी यादों से लेकर सुबह की बनी ताजी छांछ तक मिल जायेगी. हम भी संगीत के माध्यम से वहीं पुराने और नए की सुगन्ध लाने की कोशिश करते हैं ”

कमल जोशी

पिथौरागढ़ के रहने वाले कमल जोशी का गाँव गंगोलीहाट के पोखरी गाँव के रहने वाले हैं. पिता की नौकरी के चलते चार साल की उम्र में ही कमल जोशी को पिथौरागढ़ आना पड़ा. पिथौरागढ़ में ही कमल ने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई की.

उत्तराखंड के अधिकांश कलाकारों की पहली शुरुआत यहाँ होने वाली रामलीला, होलियों के साथ ही होती है. कमल भी अपने संगीत की शुरुआत के बारे में बताते हैं कि “मेरे घर में पिताजी बहुत अच्छा तबला बजा लेते हैं. हम अक्सर होली में गांव जाते थे जहाँ पिताजी ढोलकी तबला बजाया करते थे. तबले की ओर मेरी रूचि वहीं से बढ़ने लगी. मैं अपने तबला बजाने की शुरुआत पिथौरागढ़ में होने वाली शास्त्रीय बैठकी होली से मानता हूं. इसके साथ मैं अपने स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में भी तबला बजाया करता था.”

बारहवीं तक कमल शौकिया तौर पर ही संगीत से जुड़े रहे. बारहवीं के बाद कमल ने पिथौरागढ़ के संतोष साहजी से तबले की शिक्षा लेना शुरु किया. इस बीच कमल ने पिथौरागढ़ के सीमांत कालेज में बीटेक में एडमिशन लिया. जहां से कमल ने कई सारे कालेज के कार्यक्रमों में भाग लिया. 2015 में कमल ने विषारद और बीटेक दोनों साथ में पूरे किये. वर्तमान में कमल नैनीताल यूनिवर्सिटी से संगीत में ही एम.ए. कर रहे हैं और डॉ विजयकृष्ण से तबला भी सीख रहे हैं.

इसके अलावा इन दिनों कमल जोशी म्यूजिक एन्ड साइंस पर कॉलेजों में लेक्चर भी दिया करते हैं. जिसमें वह बच्चों को बताते हैं कि किस तरह साइंस और संगीत दूसरे से जुड़े हैं.

संगीत को करियर के रुप में चुनने पर परिवार वालों की प्रतिक्रिया पर कमल कहते हैं- “मेरे परिवार ने पहले होली में तबला बजाने या कालेज के कार्यक्रमों में तबला बजाने तक इसे स्वीकार किया. लेकिन करियर के रुप में इसे चुनने के बारे में घर वालों ने भी तभी सपोर्ट करना शुरु किया जब उन्होंने मेरा काम देखा. आज संगीत के लिए मुझे सबसे ज्यादा अगर कोई सपोर्ट करता है तो वह है मेरे माता-पिता.”  (पाण्डवाज़ का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू)

कमल जोशी का पहला गाना अनमोल प्रोडक्शन के साथ दिगौ लाली आया था. दिगौ लाली में भी कमल ने जनकवि गिरीश चंद्र तिवारी ‘गिर्दा’ की एक कविता को सुंदर धुन में पिरोने की कोशिश की थी. जिसे लोगों से काफी सराहा भी था. भकार प्रोडक्शन नाम के एक यूटयूब चैनल पर कमल जोशी के कई सारे वीडियो मौजूद हैं. पिछले एक साल में कमल जोशी के तबला कवर को लोगों ने खूब पसंद किया है.

पिछले साल आई फोन की धुन पर कमल जोशी का तबला कवर देश भर में वायरल हुआ था. 2018 में ही कमल जोशी का दिल दियां गलां तबला कवर भी यूटयूब पर वायरल रहा है.

कमल जोशी अपने अगले गीत काले कौव्वा के बारे में बताते हैं – “काले कौव्वा हम सबने बचपन से सुना है सुना ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में पैदा हुए हर बच्चे ने इसे गाया भी जरूर होगा. घुघते देखते ही जो हर एक उत्तराखंडी के दिमाग में एक गाना आता है वह है काले कौव्वा. हम सबके बचपन से जुड़ा हुआ यह गीत है जिसे हमने एक धुन में पिरोने की कोशिश भर की है.” (मुनस्यारी से संगीत की ‘बूंद’)

गाने के बारे में और बताते हुए कमल कहते हैं – “यह गीत पूरा का पूरा पिथौरागढ़ में ही शूट किया गया है. इसमें पिथौरागढ़ के छोटे-छोटे बच्चों ने भी कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाई हैं. गीत में काले कौव्वा के पूरे बोल तो हैं ही साथ में कुछ बचपन से जुड़ी पंक्तियाँ हमने जोड़ी हैं. म्यूजिक डायरेक्शन मेरा जबकि संगीत राहुल ने दिया है. गीत में दिए गए एडिशनल लिरिक्स चम्पावत के अखिलेश सोराड़ी ने दिए हैं.”

कमल जोशी के गीत काले कौव्वा का ट्रेलर उनके यूटयूब चैनल भकार प्रोडक्शन पर आ चुका है. ( लेख के नीचे लिंक देखें ). काले कौव्वा गीत 14 जनवरी को भकार प्रोडक्शन के यूट्यूब चैनल पर ही रिलीज किया जायेगा.

काफल ट्री की ओर से कमल जोशी और भकार प्रोडक्शन की पूरी टीम को ढेरों शुभकामनाएं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago