देश का पहला डॉप्लर रडार सेंटर उत्तराखंड से शुरू होगा. आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में जल्द ही मौसम के पूर्वानुमान पहले से ज्यादा स्टीक होगा.
साल 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के बाद इस मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने मौसम की सटीक जानकारी के लिए देशभर में 55 डॉप्लर रडार सेंटर स्थापित करने का फैसला किया था.
पहला डॉप्लर रडार सेंटर छह से आठ महीने के भीतर कुमाऊं मंडल के मुक्तेश्वर से काम करना शुरू कर देगा. यह रडार करीब 100 किलोमीटर की परिधि (रेडियस) में मौसम में पल-पल होने वाले व्यापक फेरबदल का सूक्ष्म अध्ययन कर पहले ही उसके व्यापक स्वरूप और प्रभाव क्षेत्र की जानकारी देगी.
केंद्र सरकार ने भी मौसम की सटीक जानकारी के उद्देश्य से देशभर में 55 डॉप्लर रडार स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके तहत उत्तराखंड के हिस्से में तीन डॉप्लर रडार आए हैं. इन रडार सेंटरों को स्थापित करने के लिए जमीन एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदेश सरकार उपलब्ध कराएगी. रडार सेंटर केंद्र सरकार की मदद से मौसम विभाग स्थापित करेगा.
डॉप्लर रडार के जरिए वातावरण में रेडियो तरंगे भेजी जाती हैं. ये तरंगे पानी की बूंदों और धूल कणों से टकराकर वापस लौटती हैं और कम्प्यूटर इन्हें नोटिस करके एक चित्र तैयार करता है. इससे बादलों की ऊंचाई, सघनता और गति मापी जा सकती है.
यानी मौसम का सबसे सटीक पूर्वानुमान इससे लगाया जा सकता है. ये रडार 100 किलोमीटर के रेडियस में मौसम में एक एक सेकंड में होने वाले फेरबदल का अध्ययन करता है.
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