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बैसाखी के पर्व पर जानिये उत्तराखंड में स्थित पवित्र सिख तीर्थ स्थल

आज बैसाखी का दिन है. 36 साल बाद ऐसा हुआ है कि 14 अप्रैल के दिन बैसाखी हुई है. हरियाणा पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत में बैसाखी बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है.

बैसाखी के संबंध में यह माना जाता है कि आज ही के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह ने आनन्दपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की स्थापना थी. खालसा पंथ की स्थापना का उदेश्य उस समय के मुग़ल शासकों के अत्याचार से लोगों की रक्षा करना था.

बैसाखी एक कृषि पर्व के रूप में भी खूब मनाया जाता है. इस दिन तक रबी की फसल पाक जाती है उस उत्साह के कारण भी लोग बैसाखी उत्साह से मानते हैं.

रबी के फसल पकने पर इस तरह के कृषि उत्सव पूरे देश में अलग अलग नामों से जाने जाते हैं. असम में बिहू, बंगाल में पोइला बैसाख, केरल में विशु रबी के फसल तैयार होने पर मनाये जाने वाले त्यौहार ही हैं.

उत्तराखंड में रीठा साहिब, हेमकुण्ड और नानकमत्ता तीन सबसे बड़े पवित्र सिख धर्म स्थल हैं. हेमकुण्ड सात बर्फीली पहाड़ियों के बीच में स्थित है. यह अक्टूबर से अप्रैल के बीच बंद रहता है. यहां स्थित झील वर्ष में आठ महिने बर्फ के रूप में जमी रहती है. लोकमान्यताओं के अनुसार सिखों के दसवें गुरु, गुरुगोविंद सिंह से यहां तप किया था.

हेमकुण्ड जाने का मार्ग. फोटो : अमित साह

रीठा साहिब उत्तराखंड में स्थित सिखों का एक अन्य पवित्र स्थल है. रीठा साहिब के विषय में मान्यता है कि यहां गुरु नानकदेव 1501 ई. में अपने शिष्य बाला और मरदाना के साथ रीठा साहिब आए थे. रीठा साहिब चम्पावत जिले में है. रीठा साहिब के विषय में विस्तार से यहां पढ़िए – गुरुद्वारा रीठा साहिब

नानकमत्ता उधमसिंह नगर में स्थित है इसके संबंध में मान्यता है कि 1508 में अपनी तीसरी कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान गुरुनानक इस स्थान पर रुके थे. गुरुनानक की तीसरी कैलाश मानसरोवर यात्रा को तीसरी उदासी भी कहा जाता है. नानकमत्ता में दीपावली के अवसर पर मेला भी लगता है. नानकमत्ता के विषय में अधिक जानकारी यहां पढ़े – बड़ी महिमा है नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे की

– काफल ट्री डेस्क

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Girish Lohani

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