आज गोविन्द बल्लभ पन्त का जन्मदिन है. यह बात बड़ी रोचक है गोविन्द बल्लभ पन्त के जन्म की तारीख 10 सितम्बर न होकर 30 अगस्त है. पहाड़ी गते या हिन्दी पंचांग के अनुसार उनका जन्म अनंत चुतुर्दशी के दिन हुआ था. एक ठेठ पहाड़ी होते हुये वह अंग्रेजी तारीख 30 अगस्त के बजाय अनंत चुतुर्दशी के दिन ही अपना जन्मदिन मनाया करते. जब भारत आजाद हुआ और वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, उस वर्ष अनंत चुतुर्दशी 10 सितम्बर को पड़ी तभी से उनका जन्मदिन 10 सितम्बर को मनाया जाना शुरु हो गया.
(Govind Ballabh Pant Village Khunt)
गोविन्द बल्लभ पन्त ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में भाग लिया बल्कि वह सयुंक्त प्रान्त के पहले प्रधानमंत्री भी रहे. संयुक्त प्रान्त यानी वर्तमान उत्तर प्रदेश और प्रधानमंत्री का अर्थ आज के समय के मुख्यमंत्री पद से है. आज़ादी के बाद वह उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे के पहले मुख्यमंत्री रहे और सरदार बल्लभ भाई पटेल की मृत्यु के बाद भारत के दूसरे गृहमंत्री भी बने.
गोविन्द बल्लभ पन्त का जन्म अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ. इतने बड़े-बड़े पदों पर रहने वाले गोविन्द बल्लभ पन्त के गांव में उनका पैतृक घर आज नहीं है. सड़क से 100 मीटर की दूरी पर कुछ पुरानी दीवारें हैं उसके साथ नया भवन बना हुआ है जिसमें गोविन्द बल्लभ पन्त की एक मूर्ति लगी है. ऐसा नहीं है कि खूंट गांव के ख़ुद के हाल बहुत बेहतर हैं.
(Govind Ballabh Pant Village Khunt)
पहाड़ के हर गांव की तरह इस गांव के लोगों के पास भी रोजगार का कोई साधन नहीं है. जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार गांव में रहने वालों का रोजगार का मुख्य साधन मनरेगा था लेकिन पिछले एक साल से उसमें भी एक पैसा नहीं आया है. पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिये गांव वाले आज भी नौले पर निर्भर हैं. बंदरों और सुअर का ऐसा आतंक है कि अब लोगों ने गांव में खेती करना बंद कर दिया है. स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है. नये डिजिटल भारत में बैंकिंग सेवा के लिये गोविन्द बल्लभ पन्त के गांव वालों को 20 किमी का सफ़र तय करना पड़ता है.
एक गांव जिसका पुरखा देश के इतने बड़े पदों पर काबिज हुआ उसके ख़ुद के गांव का हाल यह है. गांव में मूर्ति और भवन में होने वाले साल के दो कार्यक्रम लोगों को गर्व तो दे सकते हैं पर अफ़सोस की गर्व पेट नहीं भरता. तस्वीरें देखिये-
(Govind Ballabh Pant Village Khunt)
हाल बेहाल है गोविन्द बल्लभ पन्त की जन्मस्थली का
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…
पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…
सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…
राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…