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ग्लैमर बोट, शान-ए-नैनीताल : कभी नैनी झील में इस विशाल नाव का राज था

नैनीताल शहर की आत्मा नैनी झील को देखते हुए ये ख्याल आना लाज़िमी है कि काश यहां तैरती हाउस बोट में रात गुजारने का मौका होता. या कम-से-कम झील के बीचोंबीच तैरते रेस्टोरेंट में जायकेदार खाने का लुत्फ़ ही उठाया जा सकता. (Glamour Boat Shaan-e-Nainital)

नैनीताल से लम्बे समय से राब्ता रखने वाले लोग जानते हैं कि कभी उनकी कल्पनाओं की यह नाव झील में साकार थी. 70 के दशक में नैनी झील में ‘ग्लैमर बोट (शान-ए-नैनीताल)’ पूरी ठसक के साथ तैरती दिखती थी. दरअसल ग्लैमर बोट नाम की यह हाउसबोटनुमा नाव एक चलता-फिरता रेस्टोरेंट भी थी. अपने दौर में यह नाव नैनी झील के बाद नैनीताल का सबसे बड़ा आकर्षण हुआ करती थी. लोग इस नाव के आगे-पीछे तस्वीरें खिंचवाते और किसी छोर पर बैठकर इसके सरकने का इंतजार किया करते.

तब नैनीताल आज की तरह कंक्रीट का जंगल नहीं हुआ करता था. कुछ सलीके से बने पहाड़ी शैली के घर और गिने-चुने होटल ही यहां थे. इन्हीं होटलों में से एक था अलका होटल. अलका होटल का वास्तुशिल्प आज भी पर्यटकों को अपने मोहपाश में बांध लेता है. इसी अलका होटल के मालिक श्री बांके लाल साह ने इस विशाल नाव की परिकल्पना की. दूरदर्शी उद्यमी साह इससे नैनीताल के आकर्षण को और ज्यादा बढ़ाना चाहते थे.

श्री बांके लाल साह

साल 1972 की शुरुआत में इस ख्वाब को झील में उतारने का काम शुरू किया गया. इस विशालकाय नाव को झील में उतारने के लिए इसे बनाने वाले हुनरमंद कारीगर होने जरूरी थे. इन कारीगरों की खोज बनारस जाकर पूरी हुई. नैनी झील के तट पर ही बोट बनना शुरू हुई. इसी साल के अंत में बोट पूरी तरह बनकर तैयार हो गयी और इसे झील में उतार दिया गया.

जैसा की होना ही था एक स्वप्नदृष्टा व्यवसायी का यह सपना हर आंख को सुकून देने लगा. सैलानी ही नहीं स्थानीय लोग भी इस बोट से ख़ासा अनुराग रखते थे. उस वक़्त नैनीताल रहने या सैर के लिए आने वाला हर इंसान इस नाव के इर्द-गिर्द, इसके भीतर और छत पर तस्वीर जरूर खिंचवाता था.

जैसा कि हमने पहले बताया कि  शान-ए-नैनीताल एक चलता फिरता रेस्टोरेंट भी थी, तो इसके भीतर दावतें हुआ करतीं. एक समय में चार दर्जन से ज्यादा लोग इसके भीतर आराम से बैठ सकते थे. इसकी छत पर वीआइपी दावतें हुआ करती थीं.

ऑफ सीजन में अक्सर लाइब्रेरी के आसपास खड़ी रहने वाली यह नाव गर्मियों में धीमी गति से झील में तैरती दिखाई देती थी.

ढाई दशक से भी ज्यादा वक़्त तक दिलों में राज करने वाली शान-ए-नैनीताल आखिरकार ठप पड़ गयी और साल 2000 के आसपास इसे विघटित कर दिया गया. इसकी दो वजहें रहीं. पहली यह कि उच्च न्यायालय ताल के आसपास के खानपान उद्यमों के लिए सख्त हो गया और यह बोट तो खुद तालाब के भीतर एक रेस्तरां थी. दूसरी कि इस विशालकाय नाव की मेंटेनेंस काफी खर्चीली हुआ करती थी. अक्सर बर्फ़बारी और भारी बरसात में यह झील में लगभग डूब जाती. फिर इसे पानी से निकालकर इसकी मरम्मत करना बेहद खर्चीला हुआ करता था. इस तरह शान-ए- नैनीताल का सुनहरा सफ़र ख़त्म हुआ. लेकिन जिस किसी ने भी इसे नैनी झील में शान से खड़ा देखा है वे इसे कभी भूल नहीं पाते.        

अलका होटल तब

(सभी तस्वीरें : अलका होटल के स्वामी वेद साह के सौजन्य से)

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पीटर बैरन ने 12 दिसम्बर 1842 को प्रथम बार किया नैनीताल में नौकायन

 

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