समाज

गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ की कविता: बाल दिवस विशेष

प्रख्यात जनधर्मी कलाकार-कवि के रूप में गिर्दा हमारे दिलों में अमर हैं. बाल दिवस पर सुनिये युवा कलाकार करन जोशी द्वारा संगीतबद्ध गिर्दा की कविता ‘जहाँ न पटरी माथा फोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा’:

जहाँ न बस्ता कंधा तोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न पटरी माथा फोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहाँ न अक्षर कान उखाड़ें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न भाषा जख़्म उभारे, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहाँ अंक सच-सच बतलाएँ, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ प्रश्न हल तक पहुँचाएँ, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहाँ न हो झूठ का दिखव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न सूट-बूट का हव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहाँ किताबें निर्भय बोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
मन के पन्ने-पन्ने खोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहाँ न कोई बात छुपाए, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न कोई दर्द दुखाए, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहाँ फूल स्वाभाविक महकें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ बालपन जी भर चहकें, ऐसा हो स्कूल हमारा

-गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’

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  • लोककवि के रूप में गिर्दा मन में बसते हैं । नमन लोककवि गिर्दा ।

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