समाज

पहाड़ में अब रिश्तों की गरमाहट से चलने वाले घरों की कमी खूब खलती है

ईट और सरियों से बने मकान अब पहाड़ में आम हो चले हैं. आपसी प्रेम से बनने वाले पारम्परिक घरों की जगह अब मजबूत दीवारों वाले मकानों ने ले ली है. संबंधों से चलने वाले पहाड़ में बने इन नये मकानों में अब शहरों से चली आ रही रिश्तों की नीरसता भी साफ देखी जा सकती है. सभ्य कही जाने वाली इस आधुनिक समाज की हवा ने हमारे गांव के पारम्परिक घरों की चौखट पर लिखी संस्कृति की इबारत को अब पूरी तरह धूमिल कर दिया है.
(Gauriya in Traditional House Uttarakhand)

सबको साथ लेकर चलने की पहाड़ की संस्कृति का एक छोटा सा उदाहरण है यहां के हर घर में गौरैया के लिये बने हुये छोटे-छोटे छेद. पहाड़ के पारम्परिक घरों में छत की बल्लियों के बीच के भाग को बंद कर हर बल्ली के बीच के तख्ते में दो-चार सूत का लम्बा-चौड़ा छेद छोड़ दिया जाता. यह महज छेद नहीं बल्कि गौरैया के लिये घोंसला बनाने को छोड़ी गयी जगह है.

गौरेया को इस तरह अपने घर में जगह देने के अतिरिक्त यहां आंगन में अनाज के भी पर्याप्त दाने डाले जाते थे. पहले पहाड़ में पशु-पक्षियों को किसी न किसी बहाने से भोजन देने का रिवाज भी खूब हुआ करता था. पुराने घरों के दरवाजे और खिड़कियों में पशु-पक्षियों के उकेरे हुये चित्र भी बड़े सामान्य थे अब ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता है.  
(Gauriya in Traditional House Uttarakhand)

परम्पराओं से चलने वाले पहाड़ में अब आधुनिक कहे जाने वाले मकान तो खूब बन रहे हैं बस रिश्तों की गरमाहट से चलने वाले घरों की कमी खूब खलती है. पहाड़ में बनने वाले पारम्परिक घरों पर एक विस्तृत लेख यहाँ पढ़ें: बड़ी मेहनत से बनती है पहाड़ की कुड़ी  

इसे भी पढ़ें: ‘बाखली’ जोड़कर रखती है परिवार, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को एक साथ         

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
(Gauriya in Traditional House Uttarakhand)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

3 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

7 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

7 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

7 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

7 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

7 days ago