Featured

फादर्स डे स्पेशल: चंद्रकांत देवताले की कविता

दो लड़कियों का पिता होने से
-चंद्रकांत देवताले

पपीते के पेड़ की तरह मेरी पत्नी
मैं पिता हूँ दो चिड़ियाओं का
जो चोंच में धान के कनके दबाए
पपीते की गोद में बैठी हैं

सिर्फ बेटियों का पिता होने से
कितनी हया भर जाती है शब्दों में
मेरे देश में होता तो है ऐसा
कि फिर धरती को बाँचती हैं
पिता की कवि-आँखें…

बेटियों को गुड़ियों की तरह
गोद में खिलाते हैं हाथ
बेटियों का भविष्य सोच
बादलों से भर जाता है
कवि का हृदय,

एक सुबह
पहाड़-सी दिखती हैं बेटियाँ
कलेजा कवि का चट्टान-सा होकर भी
थर्राता है पत्तियों की तरह

और अचानक
डर जाता है कवि
चिड़ियाओं से
चाहते हुए उन्हें इतना
करते हुए बेहद प्यार

प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

बागेश्वर के बाघनाथ मंदिर की कथा

जब नन्दा देवी ने बागनाथ देव को मछली पकड़ने वाले जाल में पानी लाने को कहा

चन्द्रकान्त देवताले

7 नवंबर 1936 को जौलखेड़ा, बैतूल (मध्य प्रदेश) में जन्मे चन्द्रकांत देवताले समकालीन हिन्दी कविता के सबसे बड़े हस्ताक्षरों में से थे. उन्होंने अपने कार्य के लिए साहित्य अकादमी पुरुस्कार के अलावा मुक्तिबोध फेलोशिप, माखनलाल चतुर्वेदी कविता पुरस्कार, मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान, सृजन भारती सम्मान और कविता समय पुरस्कार हासिल किये. उनकी प्रमुख कृतियों में हड्डियों में छिपा ज्वर, दीवारों पर खून से, लकड़बग्घा हँस रहा है, रोशनी के मैदान की तरफ, भूखंड तप रहा है, आग हर चीज में बताई गई थी, पत्थर की बैंच, इतनी पत्थर रोशनी, उसके सपने, बदला बेहद महँगा सौदा, पत्थर फेंक रहा हूँ हैं. 14 अगस्त 2017 को उनका निधन हुआ.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

6 days ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

6 days ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

1 week ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

2 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago