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च्यूं मुसि च्यूं – पहाड़ के बच्चों के खेल गीत

रुद्रपुर में रहने वाले हेम पन्त की रचनाएं काफल ट्री के पाठकों के लिए अपरिचित नहीं हैं. (Children’s Play Songs of Uttarakhand State)

हाल ही में हेम ने उत्तराखंड में प्रचलित लोरियों, बच्चों के क्रीड़ा-गीतों और पहेलियों का संग्रह करना शुरू किया है. अपने समाज की संस्कृति और परम्परा को बचाए रखने में यह एक बेहद महत्वपूर्ण प्रयास माना जाएगा और हेम उसके लिए बधाई और प्रशंसा के पात्र हैं. (Children’s Play Songs of Uttarakhand State)

अभी तक उन्होंने जितना संग्रह किया है उसमें से हम आज कुछ क्रीड़ा-गीतों को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं –

क्रीड़ा गीत 1 

बिराळी-बिराळी कख जांदी             बल माछा मारणो कू 
मारली कन ?                                  छप छप छप छप
काटली  कन ?                               खर्स खर्स खर्स खर्स
पकैली कन?                                  छ्याँ -म्यां
खैली कन ?                            कुर मुर - कुर मुर
तैबरी एक आयो कुत्ता
बिराळी भाजण बैठी सुरक सुरक
मैं माछा मारणो जान्दो
 क्रीड़ा गीत 2 

हे भुलि बिमला, कख पाक्यो छ तिमला
हे भूलि सुमी, कख पकीं छन ऊमी
हे भुलि मौणी, कख पकीं छ कौणी
हे भुलि  सत्ति, कन मरि गे मत्ति
 क्रीड़ा गीत 3

धनपुतली धान दे, कौव्वा खा छी कान दे
धनपुतली दान दे,  सुप्पा भरी धान दे
तेरी बरियात पछिल देखुंल, बरखा ऐगे जाण दे
 क्रीड़ा गीत 4

सोनू मोनू छा द्वी भाई
बीच बाजारम मिंढकी पाई
सोनून बोली घौर लिजौला
मोनून बोली यखमे ई खौंला
क्रीड़ा गीत 5

मिर्च करदी स्वी स्वी, हल्दि करदि रंग
मैणु मसालि लांदी गंध, तेल करदि  चमं
लूण ब्वालि मी नि  त, सब्बि धानि कम   
 क्रीड़ा गीत 6

सरूली झटपट जान्दरी  लैदे
सासु भेंटन जान्दु  द्वी रोट  पकाइदे
साग-पात कै  ने छ त  द्वी मुसा मारि  दे
मुसा नि  मारि सकदी वितैं भेल लमड़े दे

(भेल लमड़े दे - चट्टान से नीचे लुढ़काना)
 क्रीड़ा गीत 7

आ आ चड़ि तेरे काटेंगे कान
किसने चुराए लाला जी के धान
खाई-पीई चड़ि मोटी बनी
ताल गाड़ा, माल गाड़ा घर को गई
चड़ि चूँ चूँ , मुसि चूँ चूँ
धान मंडुवा तूने खाया, कपड़ा काटा क्यों?
 क्रीड़ा गीत 8

च्यूं मुसि  च्यूं,
द्वी दाना ग्युं
घट पिसी  ल्यूं
कि  त्वै  द्यु
कि  मैं खूँ ?
क्रीडागीत 9

बरखा दीदी इथकै  आ, घाम भिना उथकै जा
घामपानि  घामपानि स्यालोक  ब्या
कुकुर बिरालु बरियाती ग्या
मैं थे कुनान  दच्छिना ल्या
हेम पंत मूलतः पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं. वर्तमान में रुद्रपुर में कार्यरत हैं. हेम पंत उत्तराखंड में सांस्कृतिक चेतना  फैलाने  का कार्य कर रहे  ‘क्रियेटिव उत्तराखंड’ के एक सक्रिय सदस्य  हैं.   
उनसे  hempantt@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

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