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ट्रेल पास अभियान भाग – 5

पिछली कड़ी पिण्डारी कांठा में चार दिन पांच अक्टूबर के प्रातः ही चाय के पश्चात् चन्दोल, तेवारी, शाहजी और कीर्तिचन्द…

6 years ago

कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग – 2

पिछली कड़ी विवाहोपरान्त पुत्री की विदाई सर्वत्र करूण होती है. वह मां की दुलारी है, जिसने उसे पालपोस कर बड़ा…

6 years ago

बहुत कम समय भी रहता है देर तक

मन का गद्य -शिवप्रसाद जोशी एक हल्की सी ख़ुशी की आहट थी. लेकिन जल्द ही ये आवाज़ गुम हो गई.…

6 years ago

जैसे कोई कीमती चीज सदा के लिए मिट्टी में मिल गई हो

इक नग़मा है पहलू में बजता हुआ - शंभू राणा करीब पांचेक साल बीत गए सतीश को गुजरे हुए. वह…

6 years ago

ओह कसारदेवी : एक फोटो निबंध

सभी फोटो जयमित्र सिंह बिष्ट के हैं.

6 years ago

आदमी उस तहखाने के नाम से डरता था

भय के कोने भय से निजी कुछ नहीं. कुछ पल हर आदमी के जीवन में लौट लौट कर आते हैं…

6 years ago

आँखों में काला मोतियाबिन्द ठहर गया लेकिन शहर से हवाई जहाज नहीं उड़ा

पिथौरागढ़ नैनीसैनी गाँव की एक आमा है जो एक ज़माने में गांव के लड़कों की काखि ( चाची ) हुआ…

6 years ago

प्रकट सुंदरता के भीतर कितने जलजले – आलोक धन्वा की कविता – 2

(पिछली कड़ी से आगे) अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी आलोक धन्वा क्या…

6 years ago

सूरज की मिस्ड काल – 9

उजाले के कमांडो आज सुबह जरा जल्दी जग गये. जल्दी मतलब पांच बजे. इत्ता जल्दी जगने पर समझ नहीं आया…

6 years ago

ट्रेल पास अभियान भाग – 4

पिछली कड़ी 30 सितम्बर के प्रातः एक नेपाली कुली को अल्यूमीनियम की सीढ़ी के शीघ्र बुढ़ियागल के नाले तक पहुंचाने…

6 years ago