संस्कृति

घुघुत के अण्डों से ऐसे बने धरती और आकाश : कुमाऊंनी लोकगीत

कुमाऊंनी लोकसाहित्य में अनेकानेक पक्षियों का उल्लेख है. मोनाल, तीतरी, शुक, कव्वा, गौतेली, कफुआ, हुट-हुटिया आदि. लेकिन घुघुत का उल्लेख…

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नए साल में अमेरिका में धूम मचाने को तैयार ऐपण डिजाइन से सजी साड़ियां

उत्तराखण्ड की लुप्त होती पारंपरिक लोककलाओं के दौर में ही ऐपण के अच्छे दिन चल रहे हैं. कुमाऊं की चित्रकला…

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रैदास के वंशज हैं उत्तराखण्ड के दास

यूं तो हिंदी भाषा में दास शब्द का सामान्य अर्थ है किसी के अधीन रहने वाला सेवक नौकर— दास के…

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रामजन्म से उनकी जलसमाधि तक

हमरी सीता हैं रात अँजोरी तोहरे राम हैं कारा भँवरवा जब कवि अपनी बोली -भाषा या कहें कि मातृभाषा में…

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लोककथा : शेरू और श्याम

सावित्री ने आज घर पर ही रहने का फैसला किया. थकाऊ खेती के काम से आज उसे फुरसत मिली थी.…

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लोककथा : ह्यूंद की खातिर

पुरानी बात है जब दो वक्त की रोटी जुटाना ही बड़ी बात थी. उन्नत बीज और सही जानकारी न होने…

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लोककथा : दुबली का भूत

सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्रों में स्थायी निवास के साथ-साथ प्रायः एक अस्थाई निवास बनाने का चलन है, जिसे छानी या खेड़ा…

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युगमंच नैनीताल : रंगमंच और सिनेमा जगत को नामचीन कलाकार देने वाला थिएटर ग्रुप

उत्तराखण्ड में रंगमंच के विकास की गरज से साल 1976 में ‘युगमंच’ की स्थापना की गयी. चार दशक के अपने…

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गढ़वाल से ग्लोब तक मेरे कैसे-कैसे कमरे

तुम्हें अपने कमरे से जाने की ज़रूरत नहीं है. अपनी मेज के पास बैठे रहो और सुनो. बल्कि सुनो भी…

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निशा पुनेठा की ठेठ कुमाऊनी राखियां सजाएगी भाइयों की कलाई

ऐपण उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल की बहुप्रचलित लोककला है. कुमाऊँ के हर घर की महिलाएं मांगलिक अवसरों पर इसे सदियों…

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