कॉलम

शाहीन बाग जैसे प्रतिरोध लोकतांत्रिक देश के लिए जरूरी हैं

दिल्ली पहुँचते ही सबसे पहले लोकतंत्र में अपने हक़ों की लड़ाई की उस ख़ूबसूरत तस्वीर को देखने शाहीन बाग आया…

4 years ago

चांचड़ी: उत्तराखंडी लोकसंस्कृति की रीढ़

मनुष्य का समभाव होना बुद्धत्व को प्राप्त कर लेना है. निर्वाण प्राप्त करना है, जिसमें जाति-धर्म, ऊंच-नीच, अगड़ा-पिछड़ा, महिला-पुरुष छोटा-बड़ा…

4 years ago

तिजोरी से कम राज नहीं हैं आमा के भकार में

पहाड़ों में ज्यादा मात्रा में अनाज को भकार में रखा जाता. तुन, चीड़ और देवदार के तख्तों या पटलों से…

4 years ago

प्रसिद्ध कथाकार डॉ. पानू खोलिया को भावपूर्ण श्रद्धांजलि

हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार डॉ. पानू खोलिया का कल 01 जनवरी 2020 को लम्बी बीमारी के बाद हल्द्वानी के मल्ली…

4 years ago

नया साल और गहरे अवसाद का बीच हम लोग

हम लोग, जो आजादी के आस-पास पैदा हुए हैं, सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि हमारे समाज का…

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पिथौरागढ़ के रक्षित पांडेय के फ़ोटोग्राफ़

20 साल के रक्षित पांडेय पिथौरागढ़ में रहते हैं और फिलहाल बी एस सी की पढ़ाई कर रहे हैं. एक…

4 years ago

साल नया है, चक्कर पुराना

लो, अपनी पृथ्वी ने एक और चक्कर पूरा कर लिया है. वैसे ये चक्कर साल के किसी भी दिन पूरा…

4 years ago

तुमने बेहद हिंसक और क्रूर दुनिया में जन्म लिया है

4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 38 (Column by Gayatree arya 38) पिछली किस्त का लिंक:  तुम कम से…

4 years ago

ईजा कैंजा की थपकियों के साथ उभरते पहाड़ में लोकगीत

हर ऋतु में अपने गीत हैं. खट्ट से आस पास से कई अलंकार समेट फूट पड़ते हैं. मेले ठेले में, पर्व में,…

4 years ago

और मैंने कसम खाई कि लड़कियों के भरोसे कॉलेज में कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा

पहाड़ और मेरा जीवन – 62 (पिछली क़िस्त: और मैं जुल्फ को हवा देता हुआ स्कूल से कॉलेज पहुंचा) मैंने…

4 years ago