कला साहित्य

कोयल उस ऋतु को बचा रही है

चेन्नई में कोयल -आलोक धन्वा चेन्नई में कोयल बोल रही है जबकि मई का महीना आया हुआ है समुद्र के…

6 years ago

भारतवासी होने का सौभाग्य तो आम से भी बनता है

आम के बाग़ -आलोक धन्वा आम के फले हुए पेड़ों के बाग़ में कब जाऊँगा? मुझे पता है कि अवध,…

6 years ago

रामी बुढ़िया ( लोककथा )

एक गांव में रामी नाम की बुढिया रहती थी, उसकी बेटी का विवाह दूर एक गांव में हुआ था जहाँ…

6 years ago

कितनी-कितनी लड़कियां भागती हैं मन ही मन

भागी हुई लड़कियां  -आलोक धन्वा एक घर की जंजीरें कितना ज्यादा दिखाई पड़ती हैं जब घर से कोई लड़की भागती…

6 years ago

बच्चे बहुत दिनों तक जीवित रह सकते हैं अगर आप उन्हें मारना बंद कर दें

पतंग - आलोक धन्वा 1. उनके रक्तों से ही फूटते हैं पतंग के धागे और हवा की विशाल धाराओं तक…

6 years ago

हत्याएँ और आत्महत्याएँ एक जैसी रख दी गयी हैं इस आधे अँधेरे समय में

फ़र्क़ -आलोक धन्वा  देखना एक दिन मैं भी उसी तरह शाम में कुछ देर के लिए घूमने निकलूंगा और वापस…

6 years ago

बेपरवाह बच्ची

बेपरवाह बच्ची -पद्मिनी अबरोल ''ये देख लो रश्मि मैडम, इस बच्ची का हाल ! मैंने तीन दिन पहले इसे अच्छे बच्चे…

6 years ago

क्षितिज तक फ़सल काट रही औरतें

आलोक धन्वा की यह कालजयी कविता कई कई बार सार्वजनिक मंचों पर पढ़े जाने की दरकार रखती है. भारतीय समाज…

6 years ago

एक युवा कवि को पत्र – 5 – रेनर मारिया रिल्के

"एक युवा कवि को पत्र" महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त…

6 years ago

एक डग भीतर जाने के लिए सौ डग बाहर आना पड़ता है

अपनी नई कविताओं की रोशनी में कवि लीलाधर जगूड़़ी  -शिवप्रसाद जोशी लीलाधर जगूड़ी अपनी ही कविता में एक नवागंतुक की…

6 years ago