आज भैया दूज है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन अर्थात दीपावली के दो दिन बाद इस त्यौहार को उत्तराखण्ड समेत समूचे देश में मनाया जाता है. (Bhaiya Dooj Muhoort this Afternoon)
इस त्यौहार का पौराणिक महत्व माना गया है और भाई-बहन के संबंधों को प्रगाढ़ करने में इसका विशेष महत्व है. (Bhaiya Muhoort this Afternoon)
भैया दूज की कथा:
इस त्यौहार के यम द्वितीया के नाम से मनाये जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार यमुना ने अपने भाई यमराज को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन भोजन पर आमंत्रित किया. माना जाता है कि यम और यमुना भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के बच्चे थे. विवाह के बाद यमुना बार-बार अपने भाई को अपने घर आने को कहती है लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते यम को अपनी बहन का यह आग्रह बार-बार टाल देना पड़ता है. Bhaiya Muhoort this Afternoon
अंततः उस दिन यमराज अपनी बहन के घर जाते हैं. इस शुभ कार्य से पहले वे सभी नरक-वासियों को मुक्त कर देते हैं. उनके इस कृत्य के बारे में जानकार बहन यमुना बहुत प्रसन्न होती हैं और कहती हैं कि आज के दिन अपने भाई का टीका करने व उसे भोजन करवाने वाली बहन को कभी भी यम का (अर्थात मृत्यु का) भय नहीं होगा.
पुरोहितों के अनुसार आज के दिन दोपहर बाद इस त्यौहार के लिए 1 बजकर 11 मिनट से लेकर 3 बजकर 23 मिनट तक शभ समय है. अर्थात कुल मिलाकर तकरीबन सवा दो घंटे तक यह शुभ मुहूर्त चलेगा.
इस दिन को पहाड़ों में दुती त्यार और यम द्वितीया के नाम से भी मनाया जाता है. कायस्थ समुदाय असज के दिन को चित्रगुप्त जयंती के रूप में मनाता है.
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