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पहाड़ी रास्तों में सफ़र करने पर क्यों होती है उल्टियां

पहाड़ों की सुंदरता हम सबको अपनी तरफ आकर्षित करती है और पहाड़ी रास्तों पर यात्रा के अनुभव भी अनमोल होते हैं. लेकिन पहाड़ों में कार या बस से सफ़र के दौरान होने वाली एक सामान्य समस्या के कारण कई लोग पहाड़ों की तरफ जाने से बचना चाहते हैं. यह समस्या है – सफ़र के दौरान जी मिचलाना, उल्टियां आना और सिरदर्द. चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे मोशन सिकनेस ( Motion Sickness ) कहा जाता है. कई लोगों के साथ तो यह समस्या इतनी ज्यादा गम्भीर होती है कि पहाड़ों में सफ़र करने का विचार आते ही उनका जी मिचलाना शुरू हो जाता है. उल्टी और जी मिचलाने की दिक्कत के कारण बहुत लोग (खासकर महिलाएं और बच्चे) पहाड़ की यात्रा का पूरी आनन्द नहीं ले पाते.

ऐसा नहीं है कि यह समस्या सिर्फ पहाड़ों में बस या कार से यात्रा करने वालों को ही होती है. हवाई सफ़र, पानी के जहाज की यात्राओं और बड़े मनोरंजक झूलों में भी लोगों को उल्टियां आती हैं. एक यात्री उल्टियां करता है तो उसे देखकर आसपास के लोगों को भी अक्सर उल्टियां होने लगती हैं.

आइए जानते हैं कि पहाड़ों के सफ़र के दौरान बैचेनी और उल्टी आने का कारण क्या है?

हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखने में भीतरी कान में मौजूद तरल पदार्थ बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. शरीर के गतिशील होने की स्थिति में यह तरल पदार्थ मस्तिष्क को लगातार सिग्नल देता है. मस्तिष्क से प्राप्त होने वाले इन संदेशों के आधार पर ही चलने और बैठने के दौरान शरीर का संतुलन बना रहता है. ठीक इसी तरह हमारी आंखें भी मस्तिष्क को दृश्य सम्बन्धी सिग्नल भेजती रहती हैं. पहाड़ी मोड़ों और खराब रास्तों पर यात्रा के दौरान हमारा शरीर बहुत हिचकोले लेता है और अनिश्चित रूप से हिलता है. जबकि इसी दौरान हमारी आंखें बस या कार के अंदर का स्थिर दृश्य देख रही होती है जो सामान्यतः स्थिर ही होता है. (बाहर का दृश्य भी ध्वनियों से मेल नहीं खा रहा होता है). आँखों और कान के तरल पदार्थ द्वारा भेजे गए असंतुलित संदेशों के कारण हमारा दिमाग़ ‘कन्फ्यूज’ हो जाता है. दिमाग़ इस स्थिति को गड़बड़ी का संदेश या किसी ज़हर का दुष्प्रभाव समझता है और शरीर में उपस्थित वोमेटिंग सेंटर ( Vomiting Center ) को उल्टी करवाने का संदेश दे देता है. आमतौर पर मोसन सिकनेस का सम्बंध पेट से समझा जाता है लेकिन इसका असली कारण असंतुलन के कारण मस्तिष्क से मिलने वाला सन्देश ही है.

जो लोग कान से सुनने में असमर्थ होते हैं उनको यह समस्या नहीं होती है क्योंकि उनका दिमाग सिर्फ आंखों से प्राप्त सिग्नल ही प्राप्त कर रहा होता है. तो, यात्रा के दौरान होने वाली उल्टी की यह समस्या हमारी पेट की गड़बड़ी से सम्बंधित नहीं है जैसा आमतौर पर समझा जाता है. असल में यह हमारे दिमाग़ के द्वारा पैदा की गई समस्या है.

फोटो : अखिलेश बोहरा

आइए अब यात्रा के दौरान होने वाली इस समस्या से बचने के कुछ उपायों पर बात करते हैं –

1. लोगों के मन में ये भ्रांति होती है कि खाली पेट सफर करने से उल्टी कम होती है. होता असल में इसका उल्टा है. खाली पेट उल्टियां शुरू होने पर पसलियों में बहुत जोर पड़ता है इसलिए सफ़र शुरू होने से पहले हल्का खाना (कम तेल-मसाले वाला) खाकर निकलें और रास्ते में भी खाने-पीने के मौकों का फायदा उठाते रहें. बासी खाना बिल्कुल न खाएं.

2. एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठे रहने से भी यह दिक़्क़त बढ़ती है, हर 2-3 घण्टे बाद गाड़ी से उतरकर थोड़ा टहल लें.

3. यात्रा के दौरान मोबाइल देखने से और क़िताबें पढ़ने से ज्यादा जी मिचलाता है. इसका कारण वही है, आंखों और कान के तरल पदार्थ से दिमाग को परस्पर विपरीत सिग्नल मिलना. इसलिए आंखों को दूर के दृश्यों पर रखिए, बाहर के सुंदर नज़ारों का आनन्द लें.

4. बैठने के लिए ऐसी सीट चुनें जहाँ से हमेशा आगे का दृश्य दिखे,, अपने दिमाग को बातचीत और गपशप में व्यस्त रखें.

5. चुइंग गम या टॉफी जैसी कोई चीज चबाते रहें, इससे आपके कानों के अंदरूनी हिस्सों में उपस्थित तरल सही काम करेगा.

6. कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि अगर सीट पर अखबार रखकर उस पर बैठा जाए तो उल्टियां कम होती हैं.

7. अगर उल्टियां शुरू हो जाएं तो हर बार पानी से अच्छी तरह कुल्ला करके मुंह की सफाई कर लें और आंखें बंद करके सोने की कोशिश करें.

8. बाजार में उल्टी रोकने वाली दवाई (जैसे – Avomin) आसानी से मिल जाती हैं. ये दवाइयां हमारे दिमाग को ही शिथिल करने का काम करती हैं, इसीलिए इन्हें खाकर नींद आती है. उल्टी की समस्या ज्यादा होती है तो एक गोली सफर शुरू करने से 1 घण्टा पहले खा लें,, इससे उल्टियां तो रुक सकती हैं लेकिन आप पहाड़ी रास्तों के सुंदर नजारे देखने से वंचित हो सकते हैं.

डिस्क्लेमर : यह लेखक के निजी विचार हैं.

– हेम पन्त

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Girish Lohani

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  • ग्यान प्रद लेख। का टुकड़ा चूसने से भी उल्टी नहीं होती।

  • बहुत सुंदर जानकारी। नींबू या मीठा पान खाने से भी उल्टी नही होती।

  • मोशन सिकनेस बैंड भी एक बढ़िया उपाय है जिसे दोनों हाथों की कलाइयों पर पहना जाता है, हमें ये जहाजों पर काम करने के समय दिया जाता था और ये है भी बड़ा प्रभावी। बढ़िया लेख के लिए धन्यवाद आपका

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