उत्तराखण्ड मूल की भारतीय टीम की स्टार हॉकी प्लेयर वंदना कटारिया देश का प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. वंदना को यह सम्मान ओलम्पिक खेलों में उनके शानदार ऐतिहासिक प्रदर्शन के देखते हुए दिया जाना है.
गौरतलब है कि वंदना ने टोक्यो ओलम्पिक खेलों में भारत की तरफ से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हैटट्रिक लगायी थी. हैटट्रिक लगाकर वंदना ने न सिर्फ टोक्यो ओलम्पिक में नया इतिहास रचा था बल्कि उन्हें यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ था. उनके इस शानदार प्रदर्शन ने उन्हें दुनिया का सबसे चर्चित खिलाड़ी बना दिया था.
इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद देश-प्रदेश की सरकार ने वंदना कटारिया को पुरस्कृत व् सम्मानित किया था. उत्तराखण्ड सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना का ब्रैंड अम्बेसडर भी नियुक्त किया है.
गौरतलब है कि साल 2015 में भी वंदना को अर्जुन पुरस्कार देने की संस्तुति की गयी थी. लेकिन उस समय अर्जुन अवार्ड के लिए उनका चयन नहीं किया गया था.
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के छोटे से क्षेत्र रोशनाबाद से आती हैं वंदना कटारिया. वंदना का पूरा परिवार रोशनाबाद में ही रहता है। भेल हरिद्वार से रिटायर होने के बाद उनके पिता नाहर सिंह ने रोशनाबाद में ही दूध का व्यवसाय शुरू किया. वंदना के हॉकी के सफ़र की शुरुआत रोशनाबाद से ही हुई.
जब वंदना कटारिया ने हॉकी कि दुनिया में कदम रखा तो गांव वालों ने उनके परिवार का खूब मजाक उड़ाया. वंदना और उनके परिवार को गांव वालों के ताने सुनने को मिले पर पिता के साथ ने वंदना के कदमों को खूब मजबूती दी. वंदना कटारिया की मां सरणा देवी ने भी कभी लोगों की बातों की परवाह न की.
रोशनाबाद में खेलों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थी. वंदना को न खेल का मैदान मिला न साथ में खेलने को साथी. वंदना ने इसका भी उपाय निकाला और शुरुआती दौर में लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस शुरू कर दी. परिवार को इसके लिये भी समाज के ताने सुनने पड़े. वंदना कटारिया ने अपने खेल को मजबूती देने के लिए प्रोफेशनल तौर पर मेरठ से शुरुआत की.
जब वंदना टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हुई थी तभी उनके गांव में उनने पिता का निधन हो गया. पिता के निधन के समय वंदना कटारिया बंगलौर में थी. पिता के निधन पर वह गांव न लौट सकी पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए मैच में शानदार प्रदर्शन कर पिता को श्रद्धांजलि दी. अब अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित होकर वंदना ने अपने पिता का एक और सपना पूरा किया है. (Arjuna Award for Vandana Kataria)
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