समाज

पिथौरागढ़ के बच्चों और युवाओं ने मिलकर बनाई पारम्परिक ऐपण वाली दिवाली लाइट्स

हरेला सोसायटी अपने नये-नये प्रयोगों के लिये बेहद लोकप्रिय है. हरेला सोसायटी का अपसाइल्किलिंग का काम पिछले कुछ वर्षों से बेहद सराहा गया है. ‘जुगनू लाईट’ ऐसा ही एक प्रोडक्ट है जो पिछले तीन सालों से पिथौरागढ़ बाज़ार में उपलब्ध है. इस वर्ष ‘जुगनू लाईट’ को एक नये प्रयोग के साथ बाज़ार में लाया गया है.
(Jugnoo Lights Harela Society)

इस वर्ष युवाओं की इस टीम में कुछ बच्चों को शामिल किया गया है. च्यूरे के घी से बनी ‘जुगनू लाईट’ को बच्चों ने पारम्परिक ऐपण द्वारा एक नया रंग देने की कोशिश की है. पारम्परिक ऐपण का रंग देने वाले मलयराज मटवाल ने बताया- दद्दा और दीदी लोगों ने हमको ‘जुगनू लाईट’ में ऐपण डालने को दिये और खूब तारीफ़ भी की पर जब मैं घर पर ऐपण डालता हूं तो आते-जाते लोग मुझसे कहते हैं लड़का होकर भी लड़कियों के काम कर रहा है पर मेरी आमा कहती है लोग तो कहते रहते हैं अपने रीति-रिवाज सीखने में क्या लड़का क्या लड़की. वैसे आमा ने ही मुझे ऐपण डालना सिखाया भी.

‘जुगनू लाईट’ बनाने वाली इस टीम में मलय और भूपेन्द्र जैसे बच्चों को युवाओं की एक टीम राह दिखा रही है. सोनू शर्मा, अशोक सिंह, रिया मलड़ा और आशीष कार्की की इस युवा टीम को खूब सराहा जाना चाहिये. ‘जुगनू लाईट’ के विषय में सोनू शर्मा ने बताया कि खाली बोतल को अपसाइल्किलिड कर बनाये गई ‘जुगनू लाईट’ पूरी तरह स्वदेशी है. ‘जुगनू लाईट’ के भीतर च्यूरे का घी भरा गया है.

हरेला टीम की एक अन्य युवा सदस्य रिया मलड़ा ने बताया कि जुगनू लाईट दीवली तो रोशन करती ही है साथ ही साथ इसमें भरा च्यूरा सर्दियों में त्वचा का भी ख्याल रखता है. च्यूरा ख़त्म होने के बाद जुगनू लाईट को प्लान्टर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
(Jugnoo Lights Harela Society)

च्यूरा एक प्रकार का पेड़ होता है. पिथौरागढ़ जिले के आसपास च्यूरे के बहुत से पेड़ देखने को मिलते हैं. इसके बीज से यह घी बनता है. पहाड़ों में त्वचा में लगाने और कई जगह खाने में च्यूरे के घी का प्रयोग किया जाता है. हरेला की टीम के युवा सदस्य अपनी ‘जुगनू लाईट’ में मोम की जगह इसी च्यूरे के घी का इस्लेमाल कर रहे हैं. 

पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र से जुड़ी हरेला सोसायटी हमेशा की तरह इस बार भी जुगनू लाईट के बॉक्स के साथ एक पोटली दे रही है जिसमें जैविक खाद, मौस (काई) और फूल के बीज दिये हैं ताकि लोग जब जुगनू लाईट के भीतर का च्यूरे का घी खत्म होने के बाद उसे फेंकने की बजाय उसमें फूल उगा सकें.

फ़िलहाल हरेला सोसायटी जुगनू लाईट पिथौरागढ़ में ही उपलब्ध करा रही है. आप भी हरेला सोसायटी से संपर्क कर इस दिवाली ‘जुगनू लाइट्स’ अपने घर ला सकते हैं. अधिक जानकारी के लिये आप info.harela@gmail.com या 7453931998 नंबर पर बात कर सकते हैं. ‘जुगनू लाइट्स’ की कुछ तस्वीरें देखिये:
(Jugnoo Lights Harela Society)

काफल ट्री डेस्क

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