सुन्दर चन्द ठाकुर

यूं बनाओ जिंदगी को सफलता की एक अजब दास्तां

मनुष्य के जीवन का सबसे खूबसूरत पहलू यह है कि स्थितियां कैसी भी हों, उनके सम्मुख हर पल संभावनाओं के द्वार खुले रहते हैं. कोई पियक्कड़ गई रात जरूरत से ज्यादा पी लेने के बाद सुबह तक गली में ही बेहोश पड़ा रहा, मगर वह उठने के बाद गई रात की गलती को हमेशा के लिए अतीत में दफ्न कर एक नया जीवन शुरू कर सकता है.
(An Inspiring Life Story)

गई रात कोई गले भर तक तामसिक भोजन लेने के बाद रात भर पेट दर्द से त्रस्त करवटें बदलता रहा, सुबह वह संकल्प ले सकता है कि जीवन में फिर कभी रात में गरिष्ठ भोजन नहीं करेगा. गए रोज किसी बात पर पति-पत्नी के बीच बहस हो गई और दोनों का पारा इतना बढ़ा कि अपनी पांच बरस की इकलौती बेटी के सामने ही वे एक-दूसरे पर गुत्थमगुत्था हो गए. उन्हें इसकी भी परवाह नहीं रही कि ऐसे दृश्य का बच्ची के कोमल मन पर कितना घातक असर पड़ेगा और इस दृश्य की स्मृति कैसे उसे आने वाले वर्षों में भी बार-बार त्रस्त करती रहेगी. वे पति-पत्नी संकल्प ले सकते हैं कि गए रोज जो हुआ, वह अंतिम था. अब ऐसी मूर्खता और नहीं.

गई रात एक शख्स दीवाली मनाने के चक्कर में जुआ खेलने बैठ गया और मजाक ही मजाक में जीतते-जीतते अपना जमा किया सारा पैसा हार गया. मन में गहरा पछतावा हुआ कि जुआ क्यों खेला. वह शख्स जुए को हमेशा के लिए त्यागकर अपने उस बुरे अनुभव को आखिरी बुरा अनुभव भी बना सकता है. आप पिछले कई बरसों से सुबह देर से उठते रहे हैं. उठने के बाद आप आलस्य के मारे दौड़ लगाने, व्यायाम करने, बाहर खुली हवा में सांस लेने को घर से नहीं निकलते और इस वजह से बढ़ते-बढ़ते आपका वजन क्विंटल पार कर गया. पर अब और नहीं. कल से आप सुबह जल्दी उठेंगे, उठकर वे तमाम काम किए जाएंगे, जो हेल्थ को दुरुस्त करें और जल्दी ही आप अपने वजन को घटाकर अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बना लेंगे, ऐसी संभावना तो हर दिन बनी ही रहती है.
(An Inspiring Life Story)

जीवन एक यात्रा है. बेहोशी से होश की ओर. इंसान पैदा होता है, तो उसका दिमाग निर्दोष होता है. खाली स्लेट. उस स्लेट पर परिवार के लोग और समाज बहुत कुछ लिख देते हैं. होश संभालने तक तो स्लेट भर चुकी होती है. इस भरे हुए को मिटाकर अपनी समझ से अपनी जिंदगी को जीना पड़ता है. इस बात को ठीक से समझने के लिए प्लेबैक सिंगर और बुनियादी तौर पर एक संत की आत्मा वाले पद्मश्री कैलाश खेर की जिंदगी की ओर देखें. इस बंदे ने 14 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था, क्योंकि उसे अपने परिवार की बतौर ब्राह्मण यज्ञ-संस्कार करके पैसे कमाने की परंपरा पर नहीं चलना था. यानी उस 14 साल के बालक ने फैसला किया कि जो अब तक होता आया था, वह अब आगे न होगा. यह एक क्रांतिकारी फैसला था और यहीं से संभावनाओं का द्वार खुलना था. हालांकि यह आसान फैसला न था.

कुछ ही वर्षों की जद्दोजहद बालक से युवक बने कैलाश खेर को इस कदर तोड़ देती है कि वह आत्महत्या करने के लिए गंगा में छलांग लगा देता है. किनारे खड़ा दोस्त उसे बचा लेता है. अचेत युवक को जब होश आता है, तो ऐसा होश आता है कि वह जिंदगी में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखता. वह मुंबई जैसे शहर में गायकी के मुश्किल और गलाकाट प्रतिस्पर्धा से भरे क्षेत्र में सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करता है. 14 साल की उम्र में जो बालक संगीत के किसी गुरु की तलाश में घर से निकलता है और जिसे गुरु न मिल जिल्लत मिलती है, वह कालांतर में खुद गुरु बन जाता है.

पहले जिसे संगीत का कोई घराना नहीं अपनाता, बाद में वह खुद में ही एक घराना बन जाता है. यह है संभावनाओं के द्वार खुलना. कल आपने कोई गलती की थी, तो आज उसे आप हमेशा के लिए भुलाने का संकल्प ले सकते हैं. सारे फैसले आपने ही लेने हैं. सारे संकल्प आपने ही करने हैं. याद रखें कि संभावनाओं के दरवाजे संकल्पों से ही खोले जा सकते हैं. इन्हीं दरवाजों से गुजरकर आप अपनी जिंदगी की कभी न भुलाई जा सकने वाली सफलता की एक अजब दास्तां बना सकते हैं.    
(An Inspiring Life Story)

लेखक के प्रेरक यूट्यूब विडियो देखने के लिए कृपया उनका चैनल MindFit सब्सक्राइब करें

इसे भी पढ़ें: इस कहानी से सीखो सबक जिंदगी का

कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

2 weeks ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

2 weeks ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

3 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

4 weeks ago