एक क़स्बे के लिहाज़ से गट्टू भाई ख़ासे पैसे वाले थे और पुराने नवाबों की फ़ितरत रहते थे. उसी हिसाब के उनके शौक और खर्चे भी थे. आज से पच्चीस-तीस साल पहले के बखत के हल्द्वानी शहर में जब ठीकठाक ज़िंदगी जी रहे लोग अपनी बचत के चालीस-पचास हज़ार पहुँचते ही उससे एक... Read more