Featured

खुद को जवाब दो लड़कियो और मिलकर नई राह ढूंढो

मैं तय करती हूं कि तुम मेरे सार्त्र बनने के लायक नहीं

– मनीषा पाण्डेय    

वैसे इस सत्‍य से किसको इनकार है कि बहुसंख्‍यक हिंदुस्‍तानी मर्द निहायत सामंती, घटिया और मर्दवादी हैं.

– कि हिंदी साहित्‍य आदि-इत्‍यादि की दुनिया में डॉमिनेशन भी मर्दों का है.

– हिंदी की दुनिया में डॉमिनेट करने वाले और इस संसार की लगाम अपने हाथ में थामे मर्द इन व्‍हॉटएवर चांस यूरोप से नहीं आए हैं. सब उत्‍तर प्रदेश, बिहार आदि आदि हिंदी भाषी देशों-प्रदेशों के वासी हैं.

– हिंदी साहित्‍य की दुकान चलाने वाले भी विदाउट एक्सेप्शन मर्द नहीं महामर्द हैं. (कोट अनकोट)

– हिंदी की सारी पत्रिकाओं के संपादक मर्द हैं.

– संस्‍थाओं, पुरस्‍कारों, अकादमियों आदि-आदि के सचिव, महासचिव, अतिमहासचिव सब मर्द हैं.

– सबको खूबसूरत, मुस्‍कुराती, शरमाती, लजाती औरतें पसंद हैं.

– सब ऑफ़र करते हैं, आइए ना, कॉफी पीने चलेंगी, डिनर पर मिलते हैं, आपकी कहानी क्‍या तोप है. आपके भीतर अनूठी लेखकीय क्षमता है. आपमें सिमोन द बोवुआर होने के सारे गुण मौजूद हैं. और कौन है आपका सार्त्र, मैं ही तो हूं. आपका कामू है मेरा दोस्‍त.

– सुना कभी आपने कि किसी औरत ने खींचकर तमाचा जड़ा हो किसी महानुभाव साहित्‍यकार को, जब वो उन्‍हें सिमोन द बोवुआर बनने का पाठ पढ़ा रहे थे.

– किसी ने की हिम्‍मत कि चूल्‍हे में गया लेखन और भाड़ झोंकने गया कहानी का प्रकाशन. बुड्ढे की ऐसी की तैसी.अगर ये हिंदी की दुनिया वैसी ही है, जैसीकि ये है तो नहीं बनना मुझे राइटर. नहीं छपे मेरी कोई कहानी ताउम्र.भाड़ में जाओ सब के सब.

– तुम कौन हो तय करने वाले कि मैं तुम्‍हारी सिमोन द बोवुआर हूं. मैं तय करती हूं कि तुम मेरे सार्त्र बनने के लायक नहीं.

इस भाषा में कब बोलना सीखेंगी लड़कियां. सीखें और विकल्‍प ढूंढें. अगर लिखना आता है तो कोई लिखने से रोक नहीं सकता. अगर लिखना ही जिंदगी है तो किसमें है दम कि तुम्‍हारी जिंदगी छीन ले तुमसे.

लेकिन पहले इन सवालों का जवाब देना होगा. दुनिया को नहीं, किसी लेखक को नहीं, किसी मर्द को नहीं, अपने आपको.

खुद को जवाब दो और मिलकर नई राह ढूंढो, लिखने की, छपने की, अपने पाठकों तक पहुंचने की और इस मिलकर जीने की.

मनीषा पाण्डेय

टीवी-18 में सीनियर एडिटर मनीषा इंडिया टुडे और अन्य  प्रतिष्ठित मीडिया  घरानों में काम कर चुकी हैं. मनीषा महिलाओं से संबंधित मुद्दों  पर अपने  विचारोतेजक एवं अर्थवान लेखन  के लिए  सोशियल मिडिया का एक लोकप्रिय नाम हैं . वह  bedakhalidiary.blogspot.com नाम का लोकप्रिय ब्लॉग चलाती हैं. 

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…

4 days ago

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

1 week ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

1 week ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

1 week ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

1 week ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

1 week ago