Featured

उतरैणी कौतिक बागेश्वर की तस्वीरें

हिमालय के आंगन उत्तराखंड में मेलों और त्यौहारों की समृद्ध परम्परा है और यहां के निवासी सदियों से चली आ रही अपनी परंपराओं और मान्यताओं को बड़े हर्षोल्लास के साथ इन मेलों और त्यौहारों के माध्यम से जीते हैं. नए साल की एकदम शुरुआत में जनवरी के महीने में मनाया जाने वाला उत्तरायणी का पर्व एक तरह से इन मेलों और त्यौहारों का ध्वजवाहक है.
(Uttarayani Mela Bageshwar 2023)

बागेश्वर में सरयू और गोमती नदी के संगम पर मनाया जाने वाला यह मेला आपको हिमालय के एकदम पास की घाटियों और पहाड़ों में रहने वाले लोगों से रूबरू कराता है, ये उत्तराखंडवासी झूमते नाचते गाते अपने पारंपरिक वेश में किसी अवतार से कम नहीं लगते. हर कोई चाहे वो महिला हो या पुरुष या फ़िर कोई किशोर या किशोरी अपनी पूरी ऊर्जा के साथ इन मेलों में आता है और इन्हें सफल बनाता है. इन्हें नाचते गाते देखना और इनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद करना पहाड़ और उत्तराखंड की धड़कन को बहुत नज़दीक से महसूस करने जैसा है.

वो चाहे गज़ब के चटकीले छोलिया नर्तक हों या फिर जोहार, मुनस्यारी, मल्ला दानपुर या दुग नाकुरी पट्टी से आने वाले पुरूष और महिलाएं हों या फ़िर कुमाऊनी पिछोड़ा ओढ़े हुए छोटी-छोटी बच्चियों ये सब इस मेले में चार चांद लगाते हैं. आज भी यहां जोहार, दारमा, रालम आदि उच्च हिमालयी घाटियों के बाशिंदे हिमालय में होने वाली जड़ी-बूटियों और अन्य उत्पादों को व्यापार के लिए लाते हैं वो व्यापार की उस परम्परा को आज भी जिंदा किए हुए हैं जिन्हें कभी उनके पुरखों ने शुरु किया था.
(Uttarayani Mela Bageshwar 2023)

बागेश्वर में उत्तरायणी में जो दूसरा अदभुत दृश्य देखने को मिलता है वो सूरजकुंड नामक जगह में किशोरों के जनेऊ संस्कार का है. अविरल बहती सरयू नदी के ठीक बगल में आपको एक कतार में जनेऊ संस्कारों का एक कुंभ सा होता नज़र आएगा. इस आस्था के समुद्र में बागेश्वर के कपकोट, मल्ला दानपुर, दुग नाकुरी, आदि पट्टीयों से वहां के बुर्जुग और माता-पिता अपने नाती पोतों और बच्चों को सुबह-सुबह अपने साथ लाकर उनके जीवन के सबसे बड़े संस्कारों में से एक जनेऊ संस्कार को ब्राह्मण और अपने प्रियजनों की मदद से इस शुद्ध प्राकृतिक वातावरण में सम्पन्न कराते हैं.

नदी किनारे कुमाऊनी परिधानों में महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों, किशोरों और पूरे परिवार की उपस्थिति से मेले का अहसास कराती है जो इस नदी तट पर मकर संक्रान्ति के दिन मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति के पावन अवसर पर जनेऊ संस्कार करना बहुत शुभ माना जाता है जिसका अहसास आपको यहां आकर और इस अदभुत दृश्य को देखकर होता है.

बागेश्वर वाकई में हिमालय के आंगन जैसा है सरयू नदी के ठीक पीछे आपको नंदा देवी पर्वत नज़र आता है जो आपको इस मेले और बागेश्वर की भव्यता और सुंदरता का बोध कराता है. उत्तरायणी का ये मेला हिमालय के इस आंगन को अपार श्रद्धा और मेल मिलाप से भर देता है.
(Uttarayani Mela Bageshwar 2023)

आजकल बागेश्वर, उत्तराखंड में चल रहे इस उत्सव की ताज़ा तस्वीरें-

जयमित्र सिंह बिष्ट

अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

इसे भी पढ़ें: सोमेश्वर से धान की रोपाई की जीवंत तस्वीरें

काफल ट्री का फेसबुक पेज : Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

3 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

5 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago