उत्तराखंड में भीषण वनाग्नि की अफवाह के बीच प्रशासन की यह पहल सराहनीय है

आमतौर पर मैं ही क्या, शायद आप में से भी कई लोग ये मानते ही होंगे कि चाहे सरकार कोई भी पार्टी चला रही हो हमारा भारतीय सरकारी सिस्टम काफी सुस्त और काम करने के मामले में काफी जर्जर हो चूका है. हाँ, यदि मामला किसी नेतागण या किसी बड़ी हस्ती से जुड़ा हो तो बात अलग है.
(Uttarakhand Forest Fire Emergency Number 112)

मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हमारे देश की सरकारें और इससे जुड़ा तंत्र अपने हितों को साधते हुए काम करता है, जनता से जुड़े मुद्दों पर काम करने के लिए, अभी भी जनता को ही एडी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है. इन हालातों में पर्यावरण जैसे मुद्दों पर बात करना, अपने आप में कुछ अजीब सा तो लग सकता है. ख़ासकर भारत जैसी परिस्थितियों में, लेकिन फिर भी कुछ  सुखद और आशा जगाने वाले वाकयों से समना हुआ है, जिसे आप सब से साझा करना बेहद जरूरी है.

महर पुनेड़ी गाँव

जंगलों मे लगने वाली आग और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर हरेला सोसाइटी से जुड़े लोग शुरू से ही अपनी कोशिशें और लोगों के बीच जागरूकता लाने को लेकर मुखर रहे हैं. हाल ही में हम लोगों ने अपने स्तर से प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों से मिल, जंगल में लगने वाली आग को समय से पहले रोक लेने की अपील की.
(Uttarakhand Forest Fire Emergency Number 112)

हमारे इन प्रयासों के दौरान हमें जंगल मे लगने वाली आग की घटनाओं के दौरान, सरकारी इमरजेंसी सहायता नंबर 112 पर सूचना देने की बात पता चली. इस वर्ष जब लगातार बारिश हो रही थी और पिथौरागढ़ में हमारी टीम भी अपने स्तर से गोद ली गयी वन पंचायत को आग से बचने के लिए तैयारियां कर ही रही थी, तभी पिथौरागढ़ शहर से लगे महर पुनेड़ी, टकोरा, आठ-गाँव सीलिंग की वन पंचायतों में आग लगने की घटनाएं हो गयी.

टकौरा गाँव

हमने तुरंत ही 112 नंबर पर जानकारी कर, मदद मांगी और आश्चर्यजनक रूप से फोन करने के दो से तीन मिनट के अंदर आपदा विभाग, पुलिस और अग्निशमन विभाग से धड़ाधड़ फोन आने लगे. अगले ही पल भेजी गयी एक टीम द्वारा एक घंटे के अन्दर-अन्दर आग बुझा ली गई.

यह अनुभव सुखद और सरकारी सिस्टम से जुड़ी उम्मीद के विपरीत आश्चर्य देने वाला रहा. इस पूरी प्रकिया और इससे जुड़े लोगों तथा अधिकारियों द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया के लिए इनकी हौसला-अफजाई और समर्थन किया जाना चाहिए. हमें आशा है, आने वाले समय में भी इसी तरह से जानकारी दिए जाने पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी.

अब यह जरूरी हो चुका है कि आप और हम सभी मिल कर वनों में लगने वाली आग के प्रति सतर्क रहें और वनों से जुड़ी किसी भी घटना के बारे में तुरंत 112 नंबर पर सूचना दें. सूचना देने वाले लोग कृपया निम्न बातों का ध्यान जरूर रखें :

वनाग्नि से जुडी किसी भी घटना को देखते ही, आप जल्द से जल्द 112 नंबर पर जानकारी दें, जिससे कि समय रहते आग पर काबू पा लिया जाए और वो फैलने से रुक जाए.

आग लगने के स्थान की सही-सही जानकारी हेल्पलाइन नंबर पर दें, जैसे गांव का नाम, सड़क से दूरी और अगर संभव हो तो शॉर्टकट रूट के बारे में भी जानकारी साझा करें.

फोन करने के बाद आप अपने फोन को ऑफ न करें, कनेक्टिविटी में रहे, क्योंकि घटना को लेकर अधिकारी या फील्ड कर्मचारी फोन करेंगे.

जानकारी देने वाले इस बात से निश्चित रहे कि जानकारी देने के बाद, किसी भी प्रकार की कागजी कार्रवाई नहीं होती और न ही जानकारी देने वाले व्यक्ति को किसी भी विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं.
(Uttarakhand Forest Fire Emergency Number 112)

गर्मियाँ शुरू हो चुकी हैं और धीरे-धीरे तापमान बढ़ने और वनों के शुष्क होने पर वनाग्नियों की घटनाओं में वृद्धि होना तय है. ऐसे में हम सभी को अपनी हवा, अपने पानी, वन संपदा, जैव-विविधता और संसाधनों को बचाए रखने के लिए समय रहते वनों को आग से बचाना होगा.

अपने फोन का सही प्रयोग करें और वनों में आग की घटना को देखते ही इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 112 पर तुरंत कॉल करें और एक जिम्मेदार नागरिक होने का दायित्व निभाए.
(Uttarakhand Forest Fire Emergency Number 112)

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

पिथौरागढ़ के रहने वाले मनु डफाली पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हरेला सोसायटी के संस्थापक सदस्य हैं. वर्तमान में मनु फ्रीलान्स कंसलटेंट – कन्सेर्वेसन एंड लाइवलीहुड प्रोग्राम्स, स्पीकर कम मेंटर के रूप में विश्व की के विभिन्न पर्यावरण संस्थाओं से जुड़े हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago