ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित गोलमाल (1979) हिंदी सिनेमा की सफलतम फिल्मों में से एक है. शिष्ट हास्य को परदे पर उकेरना…
वर्ष 1975 हिंदी सिने-इतिहास में खास तौर पर याद किए जाने लायक साल है. इस वर्ष शोले, दीवार, धर्मात्मा, जमीर,…
बावर्ची (1972) विघटित होते पारिवारिक मूल्यों की पुनर्स्थापना को लेकर आई एक नए मिजाज की फिल्म थी. तब के दौर…
[पूर्वकथन: ललित मोहन रयाल की यह सीरीज खासी लोकप्रिय रही है और इसे हमारे पाठकों ने न केवल पसंद किया…
उसे जान-पहचान में मेहमान बनने का बहुत शौक था. वह इतना भी जरूरी नहीं समझता था कि जान-पहचान बहुत गहरी…
हमारे कनिष्ठ पुत्र चिरंजीव नचिकेता, ढाई बरस के हैं. वे रोज रात को सोने से पहले जिद करते हैं. उनकी…
गाँव-देहात में तब बैंक नहीं खुले थे. साहूकार सूद पर रुपए चलाते थे. सूद की एक तय सीमा रहती थी.…
हनुमंत सिंह के बड़े भाई फौज में थे. उन दिनों वे किसी अफसर के 'खास आदमी' थे. कहने का तात्पर्य…
परीक्षाफल का दिन नजदीक आते ही डर और आशंका का माहौल बनने लगता था. तब रिजल्ट निकलता भी बहुत खौफनाक…
उन दिनों समाज में नैतिकता का जोरदार आग्रह रहता था. हर किसी पर घनघोर नैतिकता छाई रहती थी. लड़के, अपने…