Bhuvan Chandra Pant

चाय से जुड़े अफसाने, चाय दिवस के बहाने

चाय हमारे हिन्दुस्तानी समाज में कुछ इस तरह रच-बस चुकी है कि वह अब केवल राष्ट्रीय पेय ही नहीं रहा,…

2 years ago

चरैवेति चरैवेति के संदेश से अभिप्रेरित था ‘प्रताप भैया’ का व्यक्तित्व: पुण्यतिथि विशेष

वर्ष 1975 के जनवरी माह की कोई तारीख रही होगी, सही से याद नहीं, लेकिन इतना अवश्य याद है कि…

3 years ago

ऐड़ी: ऊंचे शिखरों पर रहने वाले लोक देवता

गांव में यह परम्परा थी कि जब भी गाय ब्याती (प्रसव) तो 22 दिन पूरे होने पर उस गाय का…

3 years ago

पाइन्स तब हमारे लिए ‘पेनल्टी प्वाइन्ट’ हुआ करता

पर्यटक देशी हो अथवा विदेशी अथवा सूदूर पहाड़ों के गंवई हों, नैनीताल को एक बार देखने की चाहत सभी में…

3 years ago

अतीत के पन्नों में भवाली की राजनैतिक व साहित्यिक भागीदारी

जिक्र भवाली चौराहे का आता है, तो कई यादें दिलो-दिमाग पर तैरने लगती हैं. भवाली का इतिहास, आजादी के पूर्व…

4 years ago

अतीत के पन्नों में भवाली की दो बहिनें ब्लोसम और ब्लांची

रानीखेत रोड से बाजार की तरफ बढ़ने पर बाईं ओर एमईएस परिसर की तरफ पक्के पैराफिट से लगे कई कच्चे…

4 years ago

लछुली की ईजा – भुवन चन्द्र पन्त की कहानी

प्रायः सुनसान सा रहने वाला लछुली की ईजा का घर-आंगन, आज एकाएक गांव के लोगों से खचाखच भरा था. यह…

4 years ago

गुजरे जमाने के स्कूलों के बहाने पचास साल पुराने पहाड़ की याद

पिछली सदी के साठ का दशक वह दौर था, जब  शिक्षा का मतलब केवल शिक्षा होता था, शिक्षित होकर ओहदा…

4 years ago

खजूरे, गुड़पापड़ी, खिरखाजे और च्यूड़े – पहाड़ का पारम्परिक फास्ट फूड

पिज्जा, बर्गर और फास्ट फूड के इस दौर में यदि उत्तराखण्ड के परम्परागत व्यंजनों की बात करें तो आधुनिक पीढ़ी…

5 years ago

नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की कड़क चाय

नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की चाय जिसने एक बार पी ली तो समझो वह उस चाय का…

5 years ago