विनोद उप्रेती

सानन थैं पधान हो कयो, रात्ति में बांगो

हमारे अंचल में एक किस्सा प्रचलित है, कहा जाता है कि किसी जमाने में, जब पेड़-पौधे, पंछी-जानवर इंसानों की तरह…

3 years ago

सिंगौड़ी खाते हुए मालू के पत्ते को जरूर याद कीजियेगा

अल्मोड़ा में अंग्रेज टैक्सी से आया या घोड़े पर, यह तो काल-यात्रा से ही पता लगेगा लेकिन उसका यहां तक…

3 years ago

मासी: ऊंचे कैलास में खिलने वाला हिमालय के देवी-देवताओं का प्रिय फूल

मासी, रैमासी, जटामासी किसी भी नाम से पुकार लीजिये इसकी महक कम न होगी. पहाड़ के अनेक लोकगीतों में इसके…

4 years ago

पहाड़ी महिलाएं पलायन के लिये कितनी जिम्मेदार

पलायन पहाड़ी गावों की संभवतया सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इसके कारणों पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ अपनी बात…

4 years ago

मर्तोली के बुग्यालों में चौमास में चरने वाले घोड़े और खच्चर गुलामी भूल जाते हैं

जब हम रालम और जोहार के लिए पिथौरागढ़ से निकले तो बरसात अपने चरम पर थी और रोड जगह जगह…

4 years ago

अस्सी साल के बुजुर्ग का परिवार संग गोरी नदी का खतरनाक नाला पार करना

नहर देवी में एक छोटे से बाड़े में पैतीस चालीस लोगों के बीच दब कर जैसे-तैसे रात बिताने के बाद…

5 years ago

भयंकर बारिश के बीच गोरी नदी किनारे काली अंधेरी रात

सितम्बर में जाते मानसून के साथ हमने मिलम की दूसरी यात्रा शुरू की थी. जिस दिन हम पैदल चलना शुरू…

5 years ago

मिलम ग्लेशियर का वह सफ़र जो आखिरी हो सकता था

मिलम, कहते हैं किसी समय अल्मोड़ा जिले के सबसे बड़े गांवों में एक गिना जाता था. यह इतना बड़ा था…

5 years ago

मिलम में दम पीकर सैट अंग्रेज और छांग पीकर धुत्त पहाड़ी के झगड़े का किस्सा

पहली बार जोहार की यात्रा के लिए जब कमल दा के साथ निकला था तो मुझे कत्तई पता न था…

5 years ago

डेढ़ जूता और ठाणी की धार

तवाघाट से मांगती के बीच सड़क टूटी थी तो हमें तवाघाट से ठाणी धार चढ़कर चौदास होते हुए आगे बढ़ना…

5 years ago