Featured

ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती मेले की तस्वीरें

स्याल्दे बिखौती मेले का आयोजन शुरू हो चुका है. आल, नौज्यूल, गरख धड़े के थोकदार और प्रधान नगाड़े, निशानों, ढाल, तलवारों के साथ वीर रस की हुंकार भरते हुए युद्ध कला की बारीकियां दिखाने को पूरी तरह से तैयार हैं.

स्याल्दे बिखौती मेला इस वर्ष 13 अप्रैल से शुरू हो गया है. 13 अप्रैल को दिन में 1 बजे से मेले का आयोजन शुरू हुआ. स्याल्दे बिखौती मेले में असगोली दो, रणा, वलना, सिमलगांव, बेढूली, बनोली, कुई, तल्ली कहाली, बूंगा एवं सलना के ग्रामीण 12 जोड़े नगाड़े-निसाणों एवं वाद्य यंत्रों के साथ मेला स्थल पर शिव भोले के जयकारों के साथ पहुंचे.

लोगों ने मंदिर की परिक्रमा की और फिर सुरभि और नंदनि के संगम पर स्नान किया. इसके बाद गांव वालों ने अनेक झोड़े गाये. झोड़े गाने का यह क्रम देर रात्रि तक चलता रहा.

स्याल्दे-बिखौती मेले के दूसरे दिन न्यौज्यूला धड़े के ग्रामीणों ने ओड़ा भेटने की रस्म अदा की. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्याल्दे-बिखौती मेले के दूसरे दिन स्कूली छात्र-छात्राओं ने घटगाड़ ने मुख्य बाजार तक झांकियों का प्रदर्शन किया.

उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति की धरोहर द्वाराहाट का स्याल्दे बिखौती का मेला पाली पछाऊँ में आयोजित होता है. चैत्र मास की अन्तिम रात्रि ‘विषुवत्’ संक्रान्ति की रात्रि व वैशाख मास के प्रथम दिन मेष संक्रांति को द्वाराहाट के विभांडेश्वर महादेव में यह मेला लगता है. विभांडेश्वर द्वाराहाट से 8 किमी की दूरी पर सुरभि, नंदिनी और गुप्त सरस्वती के संगम पर स्थित है.

2019 में हुए स्याल्दे बिखौती मेले की तस्वीरें देखें :

इस मेले के विषय में ऐतिहासिक जानकारी के लिये यहां पढ़े : स्याल्दे बिखौती मेला आज से शुरू

स्याल्दे बिखौती मेले का वीडियो देखें :

इसे भी देखें : एक कुमाऊनी गाँव में आज की फूलदेई – फोटो निबंध

बेतालघाट की घाटी का वसंत – जयमित्र सिंह बिष्ट के फोटो

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

 

जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

6 days ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

6 days ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

2 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

2 weeks ago