उत्तराखण्ड में लगने वाले मेले यहाँ के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ कर रखते हैं. इन मेलों में पहाड़ के लोगों का अपनी परंपरा के प्रति उत्साह और समर्पण देखने को मिलता है. कुमाऊँ के अल्मोड़ा जिले की गेवाड़ घाटी (चौखुटिया-मासी) के मासी में इन दिनों एक ऐसा ही परंपरागत सोमनाथ व सल्टिया का मेला आयोजित किया जा रहा है.
(Somnath Mela Masi Almora)
पहले दिन भूमिया दिवस मनाया जाता है उसके बाद दूसरे दिन ऐतिहासिक सल्टिया का मेला लगता है और फिर सोमनाथ का ऐतिहासिक मेला अगले एक सप्ताह तक चलता है. गेवाड़ घाटी में रामगंगा नदी के चौड़े पाट के किनारे स्थित मासी में पिछले 250 से अधिक वर्षों से हर वर्ष लगने वाले इस मेले को आज भी पूरे जोश और परंपरा के साथ मनाया जाता है.
सोमनाथ के मेले में अपने-अपने गाँवों से कणोंनिया आल और मासीवाल आल के लोग ढोल और निशाण लेकर परंपरागत रूप में मेले में आते हैं और पिछले कई सालों से निभाई जा रही रस्मों को निभाते हैं. मेले में आने वाले बुजुर्गों और महिलाओं की भागीदारी से इस मेले का एक अलग ही रंग देखने को मिलता है. मेले में गोल घेरा बना कर झोड़ा गाती औरतें और उनके बीच में खड़ी आमा (बुजुर्ग महिला) का गा कर उनको व्यवस्थित करना देखने लायक़ है.
(Somnath Mela Masi Almora)
इस मेले में मासी के बड़े-बड़े सेरों (खेतों) के बीच से गुजरते हुए ढोल, दमाऊ और निशाण लेकर चलते हुए लोग बहुत सुंदर दृश्य बनाते हैं. लोग बताते हैं क़रीब 20 साल पहले तक मासी के सोमनाथ मेले में बैलों का व्यापार भी होता था. आज समय के साथ मेले के रूप में बदलाव तो हुआ है पर इसमें भाग लेने वाले लोगों के जोश में कोई कमी नहीं आई है.
इस साल भी ये मेला 11 मई से 19 मई 2024 तक मनाया जा रहा है. मुझे पहली बार इस मेले को अपने कैमरे की नज़र से देखने का मौक़ा मिला आप भी देखिए मासी के इस प्रसिद्ध सोमनाथ मेले की ताज़ा तस्वीरें – (फोटो एवं विवरण काफल ट्री के अनन्य साथी जयमित्र सिंह बिष्ट, हिमालयन जेफर, की फेसबुक से लिया गया है.)
(Somnath Mela Masi Almora)
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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