2007 में एक रेकॉर्ड कायम किया टाइगर वुड्स ने. उन्होंने गोल्फ़ खेलने के अलावा विज्ञापन वगैरह से कुल मिलाकर करीब एक सौ बाईस मिलियन डॉलर कमाए. यह उस समय तक के खेल इतिहास में किसी भी खिलाड़ी द्वारा एक साल में कमाई गई सबसे बड़ी राशि थी. गोल्फ़ की सबसे बड़ी पत्रिका ‘गोल्फ़ डाइजेस्ट’ के मुताबिक यह खिलाड़ी 1996 से 2007 के दरम्यान क़रीब छियत्तर करोड़ डॉलर कमा चुका है. तो क्या गोल्फ़ फ़कत पैसे कमाने का खेल होता होगा? आपके मन में यह सवाल उठना लाजिमी है.
असल में गोल्फ़ पूरी तरह दिमाग से खेला जाने वाला ऐसा खेल है जिसमें आप एक गेंद के साथ अकेले होते हैं और आपको अपने आप से सतत संघर्ष करते रहना होता है. एक अच्छा खिलाड़ी कुल बहत्तर शॉट मार कर अठ्ठारह होल्स में गेंद को डालने का जतन करता रहता है. इसमें उसे तीन से लेकर सात घन्टे तक लग सकते हैं. शॉट जितने कम लगेंगे आप उतने ही अच्छे खिलाड़ी माने जाएंगे.
फ़िलहाल टाइगर वुड्स जैसा गोल्फ़र न कोई है न हुआ था.
तीस दिसम्बर 1975 को जन्मे वुड्स के माता-पिता के माध्यम से उनके भीतर अफ़्रीकी-अमेरिकी, चीनी, नेटिव अमरीकी, और डच खून बहता है. वे अपने आप को काब्लीनेशियन कहते हैं. यानी कॉकेशियन, ब्लैक, अमेरिकन इंडियन और एशियन उद्गमों का मिला जुला एक अद्भुत-असाधारण मानव. जन्म के समय उनके पिता ने उन्हें एल्ड्रिक टॉन्ट नाम दिया. उन्होंने अपने वियतनामी सिपाही दोस्त वुयोंग डैंग फोंग की हिम्मत से प्रेरित होकर अपने बेटे को टाइगर कहना शुरू किया. शौकिया गोल्फ़र के तौर पर सफल होने के साथ साथ ही टाइगर उपनाम उनके साथ जुड़ ही गया.
वुड्स ने अब तक चौदह पेशेवर खिताब अपने नाम कर लिए हैं और पैंसठ पीजीए टूर खिताब. अपने करियर में ग्रैंड स्लैम जीतने वाले वे सबसे कम उम क्र खिलाड़ी बने. वर्ल्ड रैंकिंग में सबसे लम्बे समय तक नम्बर वन बने रहने का गौरव उन्हें अभी से हासिल है जबकि उनके भीतर अभी कम से कम तकरीबन तीस साल पेशेवर होल्फ़ खेलने की क्षमता बची हुई है. स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड जैसी नामीगिरामी पत्रिका उन्हें एकाधिक बार स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ़ द ईयर का खिताब दे चुकी है.
टाइगर बौद्ध धर्म को मानते हैं और गोल्फ़ से जुड़े लतीफ़ों को इकट्ठा करने के शौकीन हैं. उनका फ़ेवरिट लतीफ़ा कुछ इस तरह है:
गोल्फ़ का शौकीन एक नौजवान एक दोपहर खुद को फ़ुरसत में पाता है और अनुमान लगाता है कि अगर वह तेज़ तेज़ खेले तो वह घर जाने से पहले नौ होल्स कर सकता है. वह जैसे ही खेलना शुरू कर रहा होता है एक उमरदार सज्जन उसके साथ खेलने का प्रस्ताव देते हैं. वह इन्कार नहीं कर पाता.
वह हैरान हो जाता है कि झुकी कमर और कमज़ोर टांगों वाला बुड्ढा असल में बिना समय गंवाए खासा तेज़ खेल ले रहा था. आखिरकार वे नवें होल पर पहुंचते हैं. नौजवान की गेंद और होल के ठीक बीचोंबीच एक बड़ा सा चीड़ का पेड़ पड़ जाता है.
काफ़ी देर तक विचार चलता है और बूढ़ा कहता है: ” अगर मैं तुम जैसा जवान होता तो गेंद को पेड़ के ऊपर से उड़ा मारता”
इस चुनौती के आने के बाद नौजवान के आगे कोई चारा नहीं बचा. उसने गेंद को पेड़ पर मारा और गेंद पेड़ से टकरा कर ठीक उसी जगह वापस गिर गई. एक शॉट बरबाद हुआ सो अलग.
बूढ़े ने आखिरी कमेन्ट दिया: “हां, जब मैं तुम्हारी उम्र का था बच्चे तो यह पेड़ कुल तीन फ़ीट उंचा था.”
-अशोक पाण्डे
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…