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कहानी : पेन पाल

-जी. श्रीनिवास राव

इसकी शुरुआत उस एक सुबह से हुई, जब मैं 21 वर्ष का कॉलेज विद्यार्थी था और अचानक एक लोकप्रिय पत्रिका के पेज पर मेरी नजर पड़ी, जिसमें पूरे संसार के युवा लोगों के डाक के पतों को छापा गया था, जो कि भारत में पत्र मित्र की तलाश में थे. मैंने स्वयं अपनी कक्षा के लड़के-लड़कियों को अनदेखे लोगों के मोटे-मोटे हवाई डाक के लिफाफे को प्राप्त करते हुए देखा था. यह उन दिनों का फैशन था. (Short Stories Pen Pal)

मुझे भी कोशिश क्यों नहीं करनी चाहिए? इसलिए मैंने लॉस एंजेल्स में किसी एलिस के पते को चुना और एक महंगा-सा राइटिंग पैड खरीदा. एक बार मेरे कक्षा की एक छात्रा ने महिलाओं के दिल के बारे में एक सुराग दिया था कि वे गुलाबी कागज़ पर लिखी चिट्ठियों को पढ़ना ज्यादा पसंद करती है. तो मैंने सोचा, हां! मुझे भी एलिस को गुलाबी कागज़ पर पत्र अवश्य लिखना चाहिए.”

मैंने लिखना शुरू किया, “प्रिय पत्र-मित्र,” एक स्कूली बच्चे की तरह घबराया हुआ, जो कि अपनी पहली परीक्षा दे रहा होता है. मेरे पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं था, फिर भी मैंने धीरे-धीरे पेन चलाते हुए पत्र को पूरा किया. पत्र पोस्टबॉक्स के हवाले करते समय मैंने महसूस किया, मानो मैं किसी दुश्मन की गोली का सामना कर रहा था.

मेरी आशा की अपेक्षा, सुदूर कैलिफोर्निया से पत्र का उत्तर ज्यादा ही जल्दी आ गया. एलिस ने लिखा, “मुझे आश्चर्य है कि कैसे मेरा पता आपके देश में पत्र-मित्रों के सूची में शामिल हो गया, क्योंकि मैंने कभी भी कहीं पत्र-मित्र मित्र के लिए नहीं कहा, लेकिन बगैर देखे हुए और बगैर सुने हुए किसी व्यक्ति से सुनना अच्छा होता है. फिर भी आप मुझे एक पत्र-मित्र के रूप में चाहते हैं तो मैं इसके लिए तैयार हूं.

मैं नहीं जानता हूं कि मैंने उस छोटे से नोट को कितनी बार पढ़ा. इसमें जीवन का पूरा संगीत समाया हुआ था और मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रहा था.

मैं अपने पत्र व्यवहार में सतर्क रहता था और कुछ भी ऐसा नहीं लिखता था जो कि एक अनजान अमरीकन लड़की को दु:ख पहुंचाए. अंग्रेजी भाषा एलिस को स्वाभाविक रूप से आती थी, वही मेरे लिए यह एक विदेशी भाषा थी जिसे मैंने अत्यधिक कष्ट से साधा था. मैं अपने शब्दों तथा वाक्यांशों में बहुत भावुक और प्रायः शर्मिला था, लेकिन मेरे हृदय के कोने में कहीं पर प्रेम का भाव छिपा हुआ था, जिसे मैंने प्रकट करने का साहस नहीं किया. एलिस अपने संतुलित हाथों से लंबे-लंबे पत्र लिखा करती थी, लेकिन फिर भी खुद के बारे में थोड़ा ही प्रकट किया करती थी.

किताबों, पत्रिकाओं साथ ही साथ छोटी-छोटी यादगार की चीजों को रखे हुए बड़े-बड़े लिफाफे हजारों मील पार करके मेरे दरवाजे तक आते थे. इसमें मुझे कोई संदेह नहीं था कि एलिस एक धनी अमेरिकन लड़की थी और अपने सुंदर उपहारों की तरह सुंदर भी और कि हमारी दोस्ती सफल थी.

फिर भी, एक प्रश्न मेरे मस्तिष्क को परेशान कर रहा था. एक लड़की से उसकी उम्र पूछना असभ्य होगा, लेकिन अगर मैं उसकी फोटो के लिए पूछ लूं तो इसमें भला क्या नुकसान है. मैंने उस अनुरोध को लिखा और आखिर उत्तर आ ही गया. एलिस ने कहा कि ठीक, तब उसके पास कोई तस्वीर नहीं थी लेकिन वह किसी दिन मेरे पास उसे भेज देगी. उसने यह भी जोड़ दिया कि कोई भी औसत अमरीकन लड़की उससे कहीं अधिक आकर्षक थी.

क्या यह एक लुकाछिपी का खेल था? ओह! यह स्त्री जाति की चालें.

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साल गुजरते गए, एलिस के साथ मेरा पत्र व्यवहार कम रुचिकर, अधिक अनियमित हो गया लेकिन विलुप्त नहीं हुआ अर्थात बंद नहीं हुआ. जब भी वह बीमार पड़ती, “जल्द स्वस्थ होओ” के संदेश भेजता रहता और इसके अलावा क्रिसमस कार्ड, उपहार इत्यादि. इसी बीच मैं दुनियादारी वाला एक व्यक्ति बन गया, आयु और बढ़ गई, एक नौकरी प्राप्त कर ली, पत्नी और बच्चों वाला भी हो गया. मैंने एलिस के पत्रों को अपनी पत्नी को दिखाया. एलिस से मिलने का विचार सदा ही मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए मिलने जैसा ही था.

तब, एक दिन मैंने डाक से आये एक बड़े पैकेट को प्राप्त किया जो कि नया था, स्पष्ट रूप से स्त्री की लिखावट थी. यह हवाई डाक के द्वारा अमेरिका से एलिस के घर से भेजा गया था. यह नया पत्र मित्र कौन था? मैंने आश्चर्य से पैकेज को खोलकर सोचा.

इस पैकेट में कुछ पत्रिकाओं के साथ एक छोटा नोट भी रखा हुआ था— जैसा कि एलिस के एक निकट मित्र के रूप में, जिसको कि आप बहुत अच्छी तरह जानते थे, मैं आपको सूचित करते हुए दुखी हूं कि एक कार दुर्घटना में पिछले रविवार को उसकी मृत्यु हो गई, जब वह चर्च से लौटते हुए कुछ खरीददारी करके घर लौट रही थी. बहुत बूढ़ी होने के कारण – पिछले अप्रैल वह 78 वर्ष की थी – वह तेज गति वाली कार नहीं देख सकी. एलिस अक्सर मुझे बताती थी कि वह आपकी बात सुनकर कितनी खुश है. एक अकेला पक्षी, दूसरों की मदद करना उसके लिए एक जुनून था, दूर और पास, देखा और अनदेखा दोनों.

लेखक इस अनुरोध के साथ निष्कर्ष पर पहुंचा कि मैं एलिस की संलग्न तस्वीर को स्वीकार करता हूं, जो चाहती थी कि इसे उसकी मृत्यु के बाद ही मुझे भेजा जाए.

यह सुंदरता और करुणा का चेहरा है; यह एक ऐसा चेहरा है जिसे मैंने तब भी संजोया होगा जब मैं एक शर्मीला कॉलेज का लड़का था और वह पहले से ही बूढ़ी थी.

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Sudhir Kumar

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