हैडलाइन्स

पिथौरागढ़ में महीनों से धूल खा रही कोरोना टेस्ट करने वाली मशीन

पिथौरागढ़ करीब करीब 5 लाख की आबादी वाला सीमांत जिला है. पूरे उत्तराखंड की तरह यहां भी पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं. यह जिला हमेशा से स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पिछड़ा रहा है. कोरोना जैसी महामारी के समय भी जिले के हालात नहीं सुधरे हैं.
(Rtpcr test Machine in Pithoragarh)

पिथौरागढ़ जिले में नवम्बर, 2020 में आरटीपीसीआर मशीन आ गयी थी. जागरण अखबार की एक ख़बर के अनुसार सितम्बर माह में केंद्र सरकार की ओर से इसके लिये 1 करोड़ रूपये आवंटित किये गये थे. उस समय यह दावा किया गया था कि मशीन लगने से पिथौरागढ़ समेत बागेश्वर और चम्पावत जिलों की भी मदद होगी.

7 जनवरी 2021 को अमर उजाला ने ‘कोविड अस्पताल में धूल फांक रही है आरटीपीसीआर मशीन’ शीर्षक से एक ख़बर छापी थी. इस ख़बर अखबार की ओर से दावा किया गया था कि मशीन आधी लगा दी गयी है. मशीन को लगाने के लिये माइक्रोबायोलोजिस्ट की आवश्यकता होती है जो कि जनपद में नहीं है. मशीन को लगाने जिस टीम ने दिल्ली से आना था वह आधा काम करने के बाद दुबारा जिले में नहीं लौटी.
(Rtpcr test Machine in Pithoragarh)

यह स्थिति अप्रैल के महीने के अंत तक बनी हुई है. इस लिहाज से अब जिले के बेस हॉस्पिटल में आरटीपीसीआर मशीन को पड़े-पड़े   पिथौरागढ़ सीमओ डॉ. हरीश पन्त के अनुसार उन्होंने इस संबंध में काफ़ी बार पत्राचार भी किया पर किसी प्रकार की कोई कारवाही नहीं की गई है.   

प्रशासनिक लापरवाही की वजह से पिथौरागढ़ में आज भी जांच रिपोर्ट अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर या हल्द्वानी भेजी जा रही है. एक पर्वतीय राज्य की संकल्पना पर गठित राज्य का हाल यह है कि कुमाऊं मंडल के नैनीताल छोड़ अन्य पर्वतीय जिलों में डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल की संख्या शून्य है.
(Rtpcr test Machine in Pithoragarh)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कानून के दरवाजे पर : फ़्रेंज़ काफ़्का की कहानी

-अनुवाद : सुकेश साहनी कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है. उस देश का एक…

22 hours ago

अमृता प्रीतम की कहानी : जंगली बूटी

अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की…

3 days ago

अंतिम प्यार : रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी

आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे…

4 days ago

माँ का सिलबट्टे से प्रेम

स्त्री अपने घर के वृत्त में ही परिवर्तन के चाक पर घूमती रहती है. वह…

5 days ago

‘राजुला मालूशाही’ ख्वाबों में बनी एक प्रेम कहानी

कोक स्टूडियो में, कमला देवी, नेहा कक्कड़ और नितेश बिष्ट (हुड़का) की बंदगी में कुमाऊं…

7 days ago

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

1 week ago