बर्फीले बौने खगोलीय पिंड प्लूटो को फिर से ग्रह का दर्जा मिल सकता है. वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा है कि प्लूटो को सौरमंडल के एक ग्रह के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए. वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लूटो को गलत तरीके सौरमंडल की ग्रह-सूची से निकाला गया है. विश्व खगोलीय संघ की परिभाषा के तहत ग्रह को अपनी कक्षा में ‘स्पष्ट’ करना जरुरी है.
इकारस नाम के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ग्रहों के वर्गीकरण के लिये यह मानक अनुसंधान साहित्य से मेल नहीं खाता. उन्होंने पिछले 200 साल के वैज्ञानिक साहित्य की समीक्षा की और पाया कि सिर्फ 1802 के एक प्रकाशन में ग्रह के वर्गीकरण के लिए स्पष्ट कक्षा की जरूरत का इस्तेमाल किया गया है. और यह तब की अपुष्ट तार्किकता पर आधारित थी.प्लूटो को अर्से तक ग्रह माना गया. लेकिन साल 2006 में उसको ग्रहों की सूची से हटाकर ‘गैर-ग्रहीय’ पिंड का दर्जा दे दिया गया. इससे सौरमंडल के कुल ग्रहों की संख्या नौ से घटकर आठ रह गई.
प्लूटो को हमारी सौरमंडल की लिस्ट से किसने और क्यों हटाया. उसके बारे में अभी भी बहस ही चल रही है. कुछ वैज्ञानिको का मानना है की हटाना चाहिए और कुछ का मानना है की प्लूटो को नहीं हटाना चाहिए. विश्व खगोलीय संघ (IAU) में दुनिया भर के लगभग दस हज़ार वैज्ञानिक शामिल हैं लेकिन चेक रिपब्लिक ने जब प्लूटो को सौरमंडल से ग्रह की लिष्ट से बेदखल किया गया तब मात्र 4% वैज्ञानिक ही इस फैसले के साथ थे. यानी करीब 400 वैज्ञानिक ऐसे थे जो हटाना चाहते थे. और बाकी के 9600 वैज्ञानिक ऐसे थे जो इस फैसले से सहमत नहीं थे.
वैज्ञानिको का मानना है कि सौरमंडल का ग्रह उसे ही माना जा सकता है जो अवकाशी पिंड सूर्य की परिक्रमा करते वक़्त अपने रास्ते में आने वाले छोटे-बड़े लघु ग्रह, उल्का और अवकाशी पिंडो को अपनी गुरुत्वीय शक्ति से अपनी ओर खींच लें और अपनी सूर्य की परिक्रमा का रास्ता एकदम साफ़ सुथरा रखे। और प्लूटो इस नियम पर खरा नहीं उतर पाया इसलिए उसको गृह की लिस्ट से हटा दिया गया.
इस फैसले के दूसरे पक्ष का तर्क है कि सौरमंडल के जिस वीरान स्थान पर प्लूटो स्थित है ।उस अवकाश में कोई भी छोटा-बड़ा उल्का, उल्का पिंड, अवकाशी पिंड मौजूद नहीं हैं। तो इस स्थिति में तो हमारी पृथ्वी भी वहाँ रहती तो किसी भी अवकाशी पिंड कप अपनी ओर नहीं खींच पाती तो क्या हमारी पृथ्वी को गृह नहीं माना जाता ?
अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक किर्बी रुन्यॉन ने कहा, प्लूटो से ग्रह का दर्जा छीन लेने का कोई मतलब नहीं है। प्लूटो की सतह पर वे सारी चीजें हो रही हैं जो किसी ग्रह पर होती हैं। उसके बारे में गैर-ग्रहीय कुछ नहीं है.
वहीं अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के ग्रह विज्ञानी फिलिप मेट्जगर ने कहा, ‘आईएयू परिभाषा कहती है कि ग्रह विज्ञान का मूल उद्देश्य, ग्रह को उस परिकल्पना पर परिभाषित किया जाना था जिसे किसी ने अपने अनुसंधान में इस्तेमाल नहीं किया हो.’
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