देवभूमि उत्तराखंड को देवों का घर माना जाता है. अलग-अलग समय पर यहां देवों के दर्शन देने की कथायें लोकप्रिय हैं. भगवान हनुमान से संबंधित ऐसे ही कुछ स्थान हैं जहां भगवान हनुमान रामायण और महाभारत काल में आये थे. इन स्थानों पर आज भगवान हनुमान को बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा जाता है.
(Places of Uttarakhand Related Hanuman)
उत्तराखंड के उन स्थानों को जानिये जहां पर भगवान हनुमान रामायण और महाभारत काल में आये:
अलकनंदा और भागीरथी के संगम पर स्थित देवप्रयाग में संगम के पास ही एक छोटी सी गुफा स्थित है. इस गुफा को श्री हनुमान गुफा के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि देवप्रयाग में पवित्र स्नान के बाद हनुमान ने इसी स्थान पर भगवान राम का ध्यान किया.
ऐसा कहा जाता है कि ध्यान करते हुये हनुमान की आकृति इसी गुफा की चट्टानों में देखने को मिलती है. संगम में पवित्र स्नान के बाद बाद लोग श्री हनुमान गुफा में दर्शन को जरुर जाते हैं और यहां पूजा अर्चना कर भगवान हनुमान की विशेष पूजा करते हैं.
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हनुमान चट्टी का संबंध महाभारत काल और रामायणकाल दोनों से जोड़कर बताया जाता है. बद्रीनाथ से 5 किमी पूर्व में स्थित इस सिद्धस्थल के विषय में मान्यता है कि महाभारतकाल के दौरान जब भीम द्रोपदी के लिये कमल पुष्प लाने अलकापुरी जा रहे थे तब इसी स्थान पर भगवान हनुमान ने भीम को दर्शन दिये थे.
हनुमान चट्टी में हनुमान गंगा और यमुना का संगम होता है, बड़कोट से इसकी दूरी 35 किलोमीटर है. यहां हनुमान गंगा में स्नान कर हनुमान शिला के दर्शन किये जाते हैं. एक अन्य मान्यता अनुसार यहां भगवान हनुमान की प्यास बुझाने को श्रीराम ने एक जलधारा प्रकट की थी. इसलिए हनुमान नदी को लोग हनुमान धारा भी कहते हैं.
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रामायण काल के समय जब लक्ष्मण को मूर्छा लगी तब भगवान राम के कहने पर हनुमान संजीवनी की ख़ोज पर निकले. इस बात की जानकारी जब रावण को हुई तो उसने कालनेमी नामक राक्षस को हनुमान के पीछे उनका वध करने के लिये भेज दिया. कहा जाता है कि जोशीमठ के समीप स्थित इसी स्थान पर हनुमान ने कालनेमी राक्षस का वध किया. इस स्थान पर आज भी कीचड़ रहता है और पानी लाल रहता है.
यह उत्तराखंड का एक ऐसा गांव जहां भगवान हनुमान का नाम नहीं लिया जाता है. द्रोणगिरी गांव में होने वाली तीन दिन की रामलीला में भी ऐसे किसी भी प्रसंग का मंचन नहीं होता जिसमें हनुमान का जिक्र होता हो. लक्ष्मण को शक्ति लगने के बाद जब हनुमान द्रोणगिरी गांव में पहुंचे तो वहां के लोगों से संजीवनी बूटी के विषय में पूछा.
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गांव वालों ने हनुमान की किसी प्रकार सहायता नहीं की. हनुमान अत्यंत उदास होकर गांव वालों से पूछते रहे पर उन्होंने कोई जानकारी न दी. तब रात्रि के समय गांव की एक बुढ़िया ने हनुमान को ऊँगली से इशारा कर संजीवनी बूटी का पता दिया. जब हनुमान उस स्थान पर गये तो उन्हें संजीवनी बूटी की पहचान न हो सकी.
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गांव वालों से हनुमान को किसी भी प्रकार की मदद की उम्मीद न थी सो उन्होंने द्रोणपर्वत का दाहिना हिस्सा तोड़ दिया और अपने साथ ले गये क्योंकि द्रोणपर्वत को गांव वाले आराध्य के रूप में पूजते थे इस वजह से द्रोणगिरी गांव वाले भगवान हनुमान को नहीं पूजते हैं.
औली स्थित हनुमान मंदिर के विषय में माना जाता है कि जब हनुमान संजीवनी लेने द्रोणगिरी की ओर जा रहे थे तो इस स्थान पर विश्राम के लिये रुके थे. वर्तमान में यहां भगवान हनुमान का मंदिर है जहां लोग बड़ी श्रद्धा से पूजा अर्चना कर भगवान हनुमान को पूजते हैं.
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