समाज

लखनऊ-पिथौरागढ़ का एक उत्तराखंडी कलाकार ऐसा भी

आज हम आपका परिचय शमशाद अहमद से करा रहे हैं. पिछले तीन दशकों से शमशाद अहमद उत्तराखंड और विशेषतः कुमाऊँ की संस्कृति पर आधारित चित्रकला का निर्माण कर रहे हैं. Pithoragarh Artist Creates Kumaoni Art

मूलतः पिथौरागढ़ के रहने वाले शमशाद अहमद पिछले बीस वर्षों से लखनऊ में रह रहे हैं. प्रवास में रहे हुए भी वे उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के कार्य में सन्नद्ध हैं.

शमशाद अहमद ने ऐपण , छोलिया ,वाद्यंयत्रों, कुमाऊँनी परिवेश आभूषण, हिमालय , हिलजात्रा, जोहारी समाज के महिला व पुरुषों के परिधानों जैसे विषयों को केंद्र में रख कर अनेक पेंटिंग्स बनाई हैं. उन्होंने कुमाऊँ की सबसे विख्यात प्रेम कथा राजुला-मालूशाही पर आधारित चित्र भी तैयार किये हैं. पिथौरागढ़ की विश्वविख्यात हिलजात्रा ने भी उनकी कला में जगह हासिल की है. Pithoragarh Artist Creates Kumaoni Art

देखिये उनके बनाए कुछ चित्र:

उल्लेखनीय है कि उन्होंने कला की कोई भी विधिवत शिक्षा नहीं पाई है.  

शमशाद ने पहाड़ की कला को देश के कोने कोने तक पहुँचाया है. उनकी कला के प्रशंसकों में देश के कई बड़े नाम शामिल हैं. इनमें प्रमुख हैं – राजनाथ सिंह, आनन्दी पटेल, अखिलेश यादव, रीता बहुगुणा जोशी व अनेक राजनेता और सम्मानित व्यक्ति. Pithoragarh Artist Creates Kumaoni Art

शमशाद अहमद

नवोदय कला केंद्र पिथौरागढ के हेमराज सिंह बिष्ट को आदर्श मानने वाले शमशाद को लखनऊ में  पर्वतीय समाज के उत्तरायणी महोत्सव में कई बार बड़ा सम्मान व पेंटिंग का काम मिल चुका है.

उनके बारे में समाचार पत्रों में अक्सर छपता रहता है:

उनका कहना है कि उन्हें के. एन. चंदोला, दिलीप सिंह बाफिला और गणेश जोशी  का विशेष सहयोग हर साल मिलता है.

शमशाद आज पहाड़ के पलायन के दौर में ये एक संदेश देते हैं कि युवा लोग ऐसा रोजगार गांव से भी शुरु कर सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: 
अभिलाषा पालीवाल के ऐपण कला में अद्भुत प्रयोग
ऐपण कला की उम्मीद पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा
शिमला से ज्यादा सुंदर है काली कुमाऊं – पीटर बैरन

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago