एक लोमड़ की एक तीतर से दोस्ती हुई. एक बार लोमड़ ने कहा कि उसे भूख लगी है और उसे खाना चाहिए. तीतर एक घराट (पनचक्की) के दरवाजे पर गया और वहां जाकर उसने अपने पंख फड़फड़ाए. घराट का मालिक चक्की पीस रहा था. उसने तीतर को देखा तो वह उसे देखने बाहर आया. अपने पंख फड़फड़ाता हुआ तीतर उसे अपना पीछा करवाते हुए दूर तक ले आया. लोमड़ ने पनचक्की का सारा आटा खा लिया. Fox and Partridge Folk Tale from Kumaon
जंगल में फिर से दोनों की मुलाक़ात हुई. लोमड़ी बोला, “तीतर मेरे दोस्त, मुझे दही खाने की ऐसी इच्छा हो रही है कि कुछ न पूछो.”
सो वे एक चरवाहे के पास पहुंचे जो दही बेचने का काम करता था. तीतर ने चरवाहे के सामने अपने पंख फड़फड़ाए. चरवाहे ने दही की ठेकी जमीन पर रखी और तीतर को पकड़ने भागा. इस बीच में लोमड़ सारा दही चट कर गया. Fox and Partridge Folk Tale from Kumaon
फिर लोमड़ ने तीतर से कहा, “यार तीतर मेरे भाई, मुझे खूब सारा हँसा दे तो ज़रा.”
एक दिन बहुत सारे लोग कहीं जा रहे थे. तीतर पहले एक सेकेण्ड के लिए उनमें से एक के सिर पर बैठाऔर फिर दूसरे के. फिर तीसरे और फिर चौथे के. इस तरह वह उड़ता-फड़फड़ाता रहा. जिसके सर पर तीतर बैठता, सारे आदमियों ने उस आदमी के सिर पर लाठियों से मारना चालू कर दिया.
यह देख कर लोमड़ खूब हँसा.
[यह कथा ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ से ली गयी है. मूल अंग्रेजी से इसका अनुवाद अशोक पाण्डे ने किया है. इस पुस्तक में इन लोक कथाओं को अलग अलग खण्डों में बांटा गया है. प्रारम्भिक खंड में ऐतिहासिक नायकों की कथाएँ हैं जबकि दूसरा खंड उपदेश-कथाओं का है. तीसरे और चौथे खण्डों में क्रमशः पशुओं व पक्षियों की कहानियां हैं जबकि अंतिम खण्डों में भूत-प्रेत कथाएँ हैं. Fox and Partridge Folk Tale from Kumaon]
‘हिमालयन फोकलोर’ से अन्य कहानियां पढ़ें – बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष्ट राक्षसी की कथा एक तीतर को लेकर हुए घमासान में एक परिवार के उजड़ने की लोककथा
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