हैडलाइन्स

चंद्र सिंह गढ़वाली का परिवार बेदखली की कगार पर

पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली को वीर यूं ही नही कहा जाता. उनकी वीरता के कायल भारतीय ही नही बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के शासक और दुनिया  भर के लोग भी थे. यही कारण है कि सरकार ने उनके सम्मान में गढ़वाली के नाम से डाक टिकट जारी करने के साथ ही कई मार्गों और योजनाओं का नाम भी उनके नाम पर ही रखा. लेकिन अब उत्तराखंड सरकार बेखबर है.

विगत दिनों उत्तर प्रदेश के बिजनौर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी की ओर से पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पुत्रवधुओं को नोटिस भेजा गया. उसमें उल्लेख था कि वर्ष 1975 में गढ़वाली को कोटद्वार-भाबर के ग्राम हल्दूखाता के समीप वन क्षेत्र में जो भूमि लीज पर दी गई थी, उसका अभी तक निष्पादन नहीं हो पाया. यह लीज की शर्तो का उल्लंघन है और ऐसी स्थिति में लीज की भूमि पर रहने वालों को अतिक्रमणकारी माना जाएगा.

विगत दिनों पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भेजने की भी गुजारिश की थी. दरअसल जिस देश के लोकतंत्र की खातिर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेजो के खिलाफ खुला सैनिक विद्रोह कर कालापानी की सजा पाई थी उसी गढ़वाली के परिजनों को आज़ाद हिन्दुस्तान के हुक्मरानों ने अवैध अतिक्रमणकारी घोषित कर उनके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने का काम किया है.

सरकार के वादों के बाद भी पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों के सिर पर मंडरा रही बेदखली की तलवार फिलहाल हटती नजर नहीं आ रही है. चारो तरफ से बढ़ते दवाब के बीच उत्तराखंड शासन में थोड़ा-बहुत सुगबुगाहट जरूर हुई, लेकिन मामले के उत्तर प्रदेश से जुड़े होने के कारण फिर उसने भी चुप्पी साध ली. हालांकि, अब प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर गढ़वाली के परिजनों को राहत देने की गुजारिश की है.

इसमें इस वन भूमि पर काबिज परिवार को अतिक्रमणकारी घोषित कर भूमि खाली करने के आदेश दिए गए हैं. इस नोटिस के बाद पेशावर कांड के नायक के परिवार पर आया यह संकट सुर्खियों में है. अब राज्य सरकार ने भी इसका संज्ञान लिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लखनऊ में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक से पहले उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस संबंध में चर्चा की. लेकिन मंत्री और मुख्यमंत्री के इस मसले पर सक्रिय होने के बाद भी कोई स्थायी हल नहीं हो सका है.

दरअसल, आज़ादी के आंदोलन में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की अहम भूमिका को देखते हुए 21 जनवरी 1975 को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने एक बड़ा ऐलान किया था. गढ़वाली को कोटद्वार-भाबर के ग्राम हल्दूखाता से लगे वन क्षेत्र में करीब 10 एकड़ भूमि 90 साल के लिए लीज़ पर दी गई थी. आज वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की दो विधवा बहुएं और बच्चे बेघर होने के कगार पर पहुंच गए हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago